tag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post2551681679396441913..comments2023-09-12T07:35:09.026-04:00Comments on काव्य तरंग: मृग मरिचिकारानीविशालhttp://www.blogger.com/profile/15749142711338297531noreply@blogger.comBlogger26125tag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-39373935111761324842011-02-16T12:41:54.922-05:002011-02-16T12:41:54.922-05:00bahut khubbahut khubShekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-44545499882471231342011-02-09T22:33:21.743-05:002011-02-09T22:33:21.743-05:00रानी जी ! बहुत सुन्दर सृजन है काव्य का... और मरीचि...रानी जी ! बहुत सुन्दर सृजन है काव्य का... और मरीचिका ने बरसों से मृग को तरसाया ही है ...डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीतिhttps://www.blogger.com/profile/08478064367045773177noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-55798340722065181802011-02-07T11:02:19.757-05:002011-02-07T11:02:19.757-05:00bahut achchi lagi.bahut achchi lagi.mridula pradhanhttps://www.blogger.com/profile/10665142276774311821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-65665255663798874712011-02-07T06:20:30.055-05:002011-02-07T06:20:30.055-05:00interesting poems...interesting poems...neelima garghttps://www.blogger.com/profile/07014867750280659771noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-15555521590976086902011-01-25T02:09:31.651-05:002011-01-25T02:09:31.651-05:00"अंतरतम की इस तृष्णा से पार पाना चाहता है&quo..."अंतरतम की इस तृष्णा से पार पाना चाहता है" "तृष्णा" छूटे अरु "लोभ" की तन्द्रा टूटे हो जावोगे भवसागर पार"। पर युग प्रभाव से कहें या आज के परिवेश को,कौन अंतरतम की तृष्णा से मुक्ति पाया है... कोई नहीं…यही सत्य है। ………खूबसूरत अभिव्यक्ति।सूर्यकान्त गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/05578755806551691839noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-13082892255539501942011-01-25T01:07:47.714-05:002011-01-25T01:07:47.714-05:00परम शांति, परम तृप्ति का वह द्वार पाना चाहता है
इस...परम शांति, परम तृप्ति का वह द्वार पाना चाहता है<br />इस अंतरतम की तृष्णा से पार पाना चाहता है<br /><br />बस अगर ऐसा हो जाये तो फिर कोई आस बाकी न रहे……………बेहद सशक्त अभिव्यक्ति।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-67430546102411740992011-01-24T22:06:06.730-05:002011-01-24T22:06:06.730-05:00जीवन की सच्चाई को उकेरती है आपकी कविता.........अति...जीवन की सच्चाई को उकेरती है आपकी कविता.........अति सुन्दरAnamikaghatakhttps://www.blogger.com/profile/00539086587587341568noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-49714160181062294862011-01-24T08:08:24.843-05:002011-01-24T08:08:24.843-05:00वाह! क्या बात है?वाह! क्या बात है?दिनेश शर्माhttps://www.blogger.com/profile/04611824902026596107noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-28200554917032994502011-01-22T22:26:56.093-05:002011-01-22T22:26:56.093-05:00सुन्दर अभिव्यक्ति।सुन्दर अभिव्यक्ति।हरीश प्रकाश गुप्तhttps://www.blogger.com/profile/18188395734198628590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-47162708447761725362011-01-22T12:28:45.484-05:002011-01-22T12:28:45.484-05:00मानव मन के विकट जाल को शब्दों के माध्यम से व्यक्त ...मानव मन के विकट जाल को शब्दों के माध्यम से व्यक्त करती एक उत्तम कविता!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-66007389666028371562011-01-22T10:14:56.729-05:002011-01-22T10:14:56.729-05:00खूबसूरत अभिव्यक्ति.खूबसूरत अभिव्यक्ति.डॉ. मनोज मिश्रhttps://www.blogger.com/profile/07989374080125146202noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-81254472306486045162011-01-22T08:40:42.654-05:002011-01-22T08:40:42.654-05:00अगर हम इस तृष्णा पर विजय पा ले तो इंसान बन जाये, क...अगर हम इस तृष्णा पर विजय पा ले तो इंसान बन जाये, कोई नही पा सका इस पर विजय. धन्यवादराज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-53648827774098601442011-01-22T04:11:47.233-05:002011-01-22T04:11:47.233-05:00छद्म सरोवर यह आभासी, आभासी ये संसार है
आभासी सब र...छद्म सरोवर यह आभासी, आभासी ये संसार है<br />आभासी सब रिश्ते नाते आभासी प्यार,दुलार है<br /><br />गहन चिंतन से परिपूर्ण एक भावमयी सार्थक प्रस्तुति..बहुत सुन्दरKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-18279722773776772982011-01-22T03:28:53.875-05:002011-01-22T03:28:53.875-05:00बहुत ही सार्थक और मर्मस्पर्शी कविता.
सादर
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...बहुत ही सार्थक और मर्मस्पर्शी कविता.<br /><br />सादर <br />-----<br /><a href="http://jomeramankahe.blogspot.com/2011/01/blog-post_20.htmll" rel="nofollow">मैं नेता हूँ</a>Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-41761002372197928632011-01-22T02:12:42.605-05:002011-01-22T02:12:42.605-05:00आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,आपकी रचनाओं में एक अलग अंदाज है,संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-5033572685672581382011-01-22T02:11:51.049-05:002011-01-22T02:11:51.049-05:00सोचने को मजबूर करती ....सोचने को मजबूर करती ....संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-14944850813128930142011-01-22T00:50:39.271-05:002011-01-22T00:50:39.271-05:00जाना चाहता है परिकल्पनाओं के पार मन
जहाँ उड़ सके चे...जाना चाहता है परिकल्पनाओं के पार मन<br />जहाँ उड़ सके चेतना की एक सच्ची उड़ान<br />यथार्थ के अनन्त विशाल नभ में <br />जहाँ मिल पाए व्याकुल पंछी को प्राण <br />बहुत बार मन मे ऐसा दुअन्द चलता है लेकिन वो अनन्त आकाश कहाँ मिलता है। सुन्दर रचना के लिये बधाई।निर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-59387068341691584642011-01-21T21:39:21.454-05:002011-01-21T21:39:21.454-05:00bhut khoobsurat rachna....aabharbhut khoobsurat rachna....aabharPRIYANKA RATHOREhttps://www.blogger.com/profile/05173622889571039240noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-15412216472663891482011-01-21T20:57:21.386-05:002011-01-21T20:57:21.386-05:00छद्म सरोवर यह आभासी, आभासी ये संसार है
आभासी सब र...छद्म सरोवर यह आभासी, आभासी ये संसार है<br />आभासी सब रिश्ते नाते आभासी प्यार,दुलार है ...<br />सब अंतर्मन की तृष्णा ही तो है ...जो हम चाहते हैं दूसरों में खोजने या यत्न करते हैं <br /><br />विचारों की बाढ़ को सुन्दर शब्दों में बांधा !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-91061401076811463672011-01-21T20:55:45.264-05:002011-01-21T20:55:45.264-05:00होता प्रतीत यथार्थ सा किन्तु
आभास सदा आभास ही तो ...होता प्रतीत यथार्थ सा किन्तु <br />आभास सदा आभास ही तो है <br />जब लोभ सरिता तट पर गए तो <br />जो हाथ लगा वो प्यास ही तो है <br />सारगर्भित पोस्ट सोचने को मजबूर करती ....Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-59818615406905468132011-01-21T18:36:13.926-05:002011-01-21T18:36:13.926-05:00बस इसी तृष्णा के पीछे भाग रहे हैं ..... हर पंक्ति ...बस इसी तृष्णा के पीछे भाग रहे हैं ..... हर पंक्ति प्रभावी .... अर्थपूर्ण डॉ. मोनिका शर्मा https://www.blogger.com/profile/02358462052477907071noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-68596733742518425552011-01-21T16:14:24.747-05:002011-01-21T16:14:24.747-05:00जब दूर खड़े हो पर्वत से देखा
शीतल, स्वच्छ सरोवर पाय...जब दूर खड़े हो पर्वत से देखा<br />शीतल, स्वच्छ सरोवर पाया<br />जब प्यास बुझाने गए पास तो<br />न बूंद नीर का कही पर पाया<br />............ <br />यथार्थ के अनन्त विशाल नभ में <br />जहाँ मिल पाए व्याकुल पंछी को प्राण <br />परम शांति, परम तृप्ति का वह द्वार पाना चाहता है<br />इस अंतरतम की तृष्णा से पार पाना चाहता है<br />एक गहरा अर्थ लिए बेहतरीन रचनाशाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''https://www.blogger.com/profile/09169582610976061788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-30558195149988164112011-01-21T14:21:11.334-05:002011-01-21T14:21:11.334-05:00हर इंसान के मन में ऐसी ही भावनाए होती हैं. आपने उन...हर इंसान के मन में ऐसी ही भावनाए होती हैं. आपने उनको क्या सशक्त अभिव्यक्ति दी है रानी जी. यही तो काव्य है....<br />गोपाल दास नीरज जी ने कहा है.."आत्मा के सौन्दर्य का ,शब्द रूप है काव्य मानव होना भाग्य है ,कवि होना सौभाग्य"<br /><br />बहुत सुन्दर...<br />स्नेहेच्छु ....राजेशRajesh Kumar 'Nachiketa'https://www.blogger.com/profile/14561203959655518033noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-9280127168849582732011-01-21T12:08:42.801-05:002011-01-21T12:08:42.801-05:00बढ़ी है मन की उत्कट आस,
काश हो जाये सफल प्रयास।बढ़ी है मन की उत्कट आस,<br />काश हो जाये सफल प्रयास।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5023511766142721306.post-48148324121214320002011-01-21T12:02:19.669-05:002011-01-21T12:02:19.669-05:00कौन अंतरतम की तृष्णा से मुक्ति पाया है... कोई नहीं...कौन अंतरतम की तृष्णा से मुक्ति पाया है... कोई नहीं..विवेक रस्तोगीhttps://www.blogger.com/profile/01077993505906607655noreply@blogger.com