Friday, November 12, 2010

दुआएँ भी दर्द देती है





दुआएँ भी दर्द देती है 
दवाओं की ख़ता क्या है
 दगाओं से भरा मेरा दामन
तो इक तेरी वफ़ा क्या है 
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है


चटक कर बह उठा ये तो  
है लावा दर्द का दिल के 
हमदर्दी ना रास आई
भला दिल की ख़ता क्या है 
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है


अब तो दिन रात हर पल
अश्कों की बरसात होती है
वो कहते है बहार आई
मैं क्या जानू समां क्या है 
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है


बड़ा मेहरबां सितमगर है
हजारों ज़ख्म देता है
खुद ही अंजान है लेकिन
भला ये भी अदा क्या है 
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है


दरिया-ए-आब ये गहरा
डूब जाना ही किस्मत है
मगर इसमे जो ना डूबे
तो जीने का मज़ा क्या है
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है

Wednesday, November 3, 2010

उल्फ़त के दीप दिल में जलाओ तो बात है--------------रानीविशाल

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रोशन है कायनात दीवाली की रात है
उल्फ़त के दीप दिल में जलाओ तो बात है

नफ़रत की आग दिल में, जलाकर मिलेगा क्या
रोशन महल उन्हीं के हैं, जिनकी बिसात है

जगमग है एक ओर महल, और इक तरफ़
कुछ घर के दियों को तो अंधेरों से मात है

त्यौहार अधूरे से हैं, खुशियां हैं अधूरी
अपनों से अपने पास हों तो कोई बात है

दिल की तिजोरियों में रहे, प्यार की दौलत
बढ़ती है बाँट कर बहुत, ये वो सौग़ात है

जलने लगे उल्फ़त के दीये,
अमन के चिराग़
तब मान लीजिये कि, दीवाली की रात है

चाहत बुलंदियों की, कहां लेके आ गई
मुश्किल सफ़र है 'रानी' और कोई न साथ है