Tuesday, October 26, 2010

जनम जनम का साथ-----------रानीविशाल



















मांग सिंदूर, माथे पर बिंदिया
रचाई मेहंदी दोनों हाथ
साज सिंगार कर, आज मैं निखरी
लिए भाग सुहाग की आस
प्रिय यह जनम जनम का साथ

पुण्य घड़ी का पुण्य मिलन बना 
मेरे जग जीवन की आस
पूर्ण हुई मैं, परिपूर्ण आभिलाषा 
जब से पाया पुनीत यह साथ
प्रिय यह जनम जनम का साथ

व्रत, पूजन कर दे अर्ध्य चन्द्र को
मांगू आशीष विशाल ये आज
जियूं सुहागन, मरू सुगागन 
रहे अमर प्रेम सदा साथ
प्रिय यह जनम जनम का साथ

हर युग, हर जीवन, मिले साथ तुम्हारा
रहे तुम्ही से चमकते भाग
मैं-तुम, तुम-मैं, रहे एक सदा हम
कभी ना छुटे यह विश्वास
प्रिय यह जनम जनम का साथ 



आज करवा चौथ के पावन दिन पूरी आस्था और विशवास के साथ परम पिता परमेश्वर के चरणों में यह परम अभिलाषा समर्पित है और आप सभी मेरे ब्लॉग परिवार को भी मेरा चरण वंदन आज कमेन्ट में अपने स्नेह के साथ यही आशीष प्रदान करे कि मैं हर जीवन हर जनम अखंड विशाल सौभाग्य प्राप्त करू ....

सादर प्रणाम

Saturday, October 23, 2010

चाँद है मेरा परदेस में

 
आज चंदा तू चमक ना कि
 चाँद है मेरा परदेस में...

उज्जवल सलोना ये रूप तेरा
मुझे उसकी याद दिलाएगा
जा चला जा आज तू कहीं
कब तक मुझे यूँ सताएगा 

चमकेगा जो तू यूँ रात भर
तो मेरी रात ये होगी दूभर
दमकती रहेगी उसी की सूरत
सारी रात मेरे ख़याल में
फिर अहसास उससे दुरी का ये
सुबह तलक रुलाएगा ...

जा कि सोजा तू घड़ी भर
बदलियों की आढ़ में
ताकि मूंद सकूँ आँखों को
अपने चाँद के ही ख़याल में 

पलकों के अम्बर पर जब
चमकेंगे तारे स्वप्न के
तब मचल कर चाँद मेरा
मुझको गले से लगाएगा 

फिर कटेगी जुदाई की रात भी
दिलदार के ही आगोश में
 आज चंदा तू चमक ना कि
चाँद है मेरा परदेस में 

आज तेरा मैं क्या करू
आना किसी दिन फिर से तू
जब आए मेरे आँगन में चाँद
तब देखेगी चाँद की चांदनी में
ये चांदनी भी अपना चाँद ...

होगा तब ही तो ये पता
है तू भला या वो भला
 मनभावना है तू ही ज्यादा या
अधिक है, मोहकता उसके वेश में
आज चंदा तू चमक ना कि
चाँद है मेरा परदेस में
चाँद है मेरा परदेस में...!!!

Wednesday, October 20, 2010

माई ----------------रानीविशाल

आज भी जब कभी
फांस की सी
चुभन हो मन में
या पनप उठा हो
कष्ट कोई तन में
बात कोई दिल की
बताना किसी को चाहूँ
या दिल करे जी भर कर
किसी को आज मैं सताऊं
ये ख़्याल आते ही मन में
सहसा उठती है अचानक
यादों की लहर ......


फिर रह रह कर
मेरे दिल को
तुम याद आती हो 'माँ'
और याद आती है
तुम्हारी वो डांट फटकार
तब ना जानती थी मैं
कि इसमे भी छुपा है
अतुल्य प्यार तुम्हारा 
नाज़ुक क्षणों में जब तुम
ढाढस बंधाती
नित्य दुनियादारी का
पाठ सिखाती
कभी कभी बातों ही बातों
में कही खो जाया करती
मेरे बड़े होकर
पराए घर जाने के ख़्याल से.....


अब याद आता है
बच्चों कि चिंता में
कैसे तुम नीदें गवाती थी !
बची कुची शाक दे हमें
तुम नमक मिर्ची से भी
कभी रोटी खाती थी
आज पकवानों में भी नहीं
वो स्वाद जो तवे पर बनाकर
बेसन दिया करती थी तुम
सब्जियों के आभाव में.....

रहे ज़माने कि तपिश से
बेखबर सदा
हम तुम्हारी
ममता कि छाँव में...
अक्सर ये ज़मीनी दूरियाँ
तुम्हारे मुझसे दूर होने का
अहसास दिलाती है
लेकिन मेरी 'माई' तो
सदा मुझमे समाती है !!

हर विचार, व्यवहार, संस्कार
तुम्हारा ही उपहार है.....
तुम्हारा दिया ज्ञान ही
जीवन का आधार है
सब कहते है
यही कि मैंने
तुम्हारी छवि पाई है
इसीलिए प्रतिपल
मेरे पास मेरी 'माई' है !!!

आज मदर्स डे नहीं लेकिन माँ तो माँ है और माँ कि याद भी माँ की तरह ही प्यारी होती है ....बच्चों को अकेला महसूस करते ही आजाती है और समेट लेती है हमें अपनी ममतामयी यादों के आचँल में और कर देती है जीवन में नए उत्साह का प्रवाह  .....कभी कभी ऐसे ही भावों में प्रवाहित मन से कुछ बोल फुट पड़ते है और धर लेते है रूप कविता का....आज भी कुछ ऐसा ही हुआ.

Thursday, October 14, 2010

हे माँ दुर्गे सकल सुखदाता


हे माँ दुर्गे सकल सुखदाता
हे जगदम्बा भाग्य विधाता
हे माँ शक्ति भव भयहरणी
हे चामुंडे सर्व मंगल करणी
दुर्बुद्धि निवारणी हे ममतामयी
वरदा, विद्या, धात्री, त्रयी 
दिव्य प्रकृति तेरा स्वरुप है
वन, उपवन,सागर, सरिता
झरने, पर्वत सब तेरे अनुरूप है
तू कर्ता, तू कारण, कारक
तू साधन, तू साध्य, निवारक
विकराल, कराल, कालिका तू माँ
स्नेह, ममता, करुणा, तू क्षमा
महिषासुरमर्दिनी, भक्तवत्सला
कृति, कृतिका, कमला, कपिला
सब पाप, ताप हर अखल विश्व के
माँ विश्व शांति का विस्तार करो
सब दुःख हरो माँ दुखियारों के
कल्याणमयी सर्व कल्याण करो
सम्पूर्ण, समर्थ, सशक्त, सहायक
निज बालकों का उद्धार करों
मिटा बैर, दुराचार, कुटिलता
मानव घट घट में प्रेम भरो
सब शोक हरो, हे माँ जगदम्बा 
दुष्टों का परिहार करों
दो आशीष, हो सदा सद्गामी
निज चित्त में सदैव विहार करो
माँ, निज चित्त में सदैव विहार करो .....

Tuesday, October 5, 2010

किसी का दर्द जो समझे...........रानीविशाल



किसी का दर्द जो समझे, वही इंसान होता है
दिलों में प्यार हो जिस दर, वहीँ भगवान होता है

मिलती है नसीबों से, खुदा की ये इनायत है
हर दिल में महोब्बत का, छुपा आरमान होता है

उसी की राह में पलकें, बिछाए हम तो रहते है
बड़ी मुश्किल से वो दिलबर,  मेहरबान होता है

मिल जाता है यादों में, वो खोया प्यार का मंज़र
तनहाई का भी इस दिल पर, बड़ा अहसान होता है
चार दिन है ज़िन्दगी "रानी" प्यार करने को 
दुनिया में हर इनसां, बस मेहमान होता है

Friday, October 1, 2010

आज के दिन "दो" फूल खिले थे


आज के दिन दो फूल खिले थे
दोनों ही बड़े महान
दोनों ने भारत की शान बढाई
दी भारत को नई पहचान
सत्य, अहिंसा का पावन पथ 
बापू ने था दिखलाया
धरती का लाल भी बड़ा बहादुर 
कहा "जय जवान जय किसान"
याद रखे दोनों की ही हम
न भूलें  किसी का भी नाम
दोनों ही भारत की शान हमेशा
दोनों ही वीर महान ...

आज २ अक्टूम्बर गाँधी जयंती हमारे राष्ट्रपिता "बापू " का जन्मदिन हम सभी के लिए एक बहुत बड़े और महान पर्व से कम नहीं .बापू ने जो इस देश के लिए किया है अतुल्य है इसीलिए हम सभी के लिए इस दिन का विशेष महत्व होना स्वाभाविक है ....आज ब्लॉग जगत में कई जगह गाँधी जयंती पर प्रकाशित पोस्ट्स देखने को मिल रही है ......लेकिन आज हमारे देश के एक और महान नेता का भी जन्म दिन है "लाल बहादुर शास्त्री " . जिनके किये महान कार्यों पर प्रकाश डालने की आवश्यकता यहाँ नहीं वो हम सभी जानते है ... इस महापुरुष का भी जन्मदिन आज ही है यह उल्लेख हमें भूलना नहीं चाहिए . मैं महात्मा गाँधी और लाल बहादुर शास्त्री के बिच मैं कोई तुलना नहीं कर रही हूँ ...ऐसा समझने की भूल भी न की जाए .
दोनों ही महापुरुष देश की शान है दोनों ने ही बहुत बड़े और महान कार्य किये है . आज के इस पवन दिवस पर भारत माता के दोनों वीर सपूतों को मेरा शत शत नमन .