Monday, April 19, 2010

कभी देखी है ऐसी मनुहार ??..........दो कविताएँ {रानीविशाल}

कहते है कि सावन के अंधे को सब हरा ही हरा दिखाई देता है .....बस कविता प्रेमीयों के साथ भी कुछ ऐसा ही है जिन्हें कविताएँ कहने और पड़ने का रोग लग जाए, फिर क्या उनका तो सारा क्रिया-कलाप यहाँ तक की वार्तालाप भी काव्यमय ही होकर रह जाता है
जीवन की बहुत ही सुन्दर अविस्मर्णीय स्मृति की बात है .... हमारे घर में मेरे दादाजी (बप्पा), पिताजी (डैडीजी) , माताजी (माई ), भाईसाब और दोनों छोटे भाई सबके सब कविताओं के बहुत शौक़ीन है मेरा हाल तो आप से छुपा नहीं मौका था हमारे बड़े भाईसाब की शादी का ....माई-डैडीजी की शादी के बाद यह घर में पहली शादी थी, मतलब सबका उत्साह तो आसमान को छू रहा था हर कोई अपने स्तर पर जबरदस्त तैयारियों में लगा था बात आई शादी के निमंत्रण पत्र की तो उसमे भी कोई कमी क्यों रहे !!

हमारे यहाँ शादी के निमंत्रण पत्र के कुछ दिनों पहले कुछ खास रिश्तेदारों को विशिष्ठ आमंत्रण पत्र भेजा जाता है जिसे मनुहार पत्र कहते है लेकिन हमारे लिए यह तय करना कठिन था की किसे मनुहार भेजे क्योंकि सभी खास थे इसलिए एक ख़ास निमंत्रण पत्र तैयार करवाया गया जिसमे कवर के बाद तीन पत्र हो एक मनुहार का दूसरा , परिचय और तीसरा कार्यक्रम सूची का और मनुहार के लिए एक कविता लिखी मैंने, जिसे सारे अतिथि गण ने बहुत सराहा कुछ ने तो निमंत्रण पत्र बहुत सहेज कर रख लिये
रचना का शीर्षक था "मीठी मनुहार" जो ये रही ...


मीठी मनुहार

सपनें बुन बुन , कलियाँ चुन चुन मनोरम बेला आई
प्रभु कृपा और प्यार आपका जो, घर बाजेगी शहनाई

साथ दिया है सदा सदा ही "प्रियजी" अब इतनी प्रीत निभाना
राह तकेगीं अखियाँ "पूज्य " आप खुशियाँ बाटने आना ॥

भूल हुई या चूक कोई हो, ध्यान सभी तज देना
अनमोल बड़ा है प्रेम आपका सानिध्य "रतन रज" देना ॥

यतन-जतन कर आ ही जाना , आप ही से सुखमय हमारा संसार है
पीपल सी पाती पर, कुमकुम सी स्याही और अक्षत सी पावन मनुहार है ॥

ललाहित मन , उत्सुक नयन, करबद्ध तन और दिलों में आपका प्यार है
मनमोहिनी सी इस बेला में "पूज्यवर" बस आपका इंतज़ार है ॥

रानीविशाल

भाईसाहब की शादी के दो महीने बाद ही मेरी शादी तय हुई .....तीन भाईयों ( एक बड़े दो छोटे.....नितिन, सचिन, विपिन) की इकलौती बहन और माई डैडीजी की लाड़ली बेटी की शादी भी धूम धाम से ही की गई उसमे भी निमंत्रण पत्र का प्रारूप यही रहा लेकिन इस बार मनुहार लिखने वाले थे, डैडीजी......उनकी लिखी यह कविता मेरे जीवन की अनुपम कृति बन गई कविता का शीर्षक था "मधुर अनुग्रह" जो यह रही


मधुर अनुग्रह

बिटियाँ "रानी" हम सबकी दुलारी है
घर-आँगन की यह शोभा न्यारी है ॥

भगवती सृजन कर सृष्टि में आई है
अब विवाह आयोजन की अनुपम छटा छाई है ॥

"श्री केदारधाम " में विशाल परिहार है
पहले भी सब आए थे, पुन: "मीठी मनुहार" है ॥

अबके भी पधारियेगा यह दिल की पुकार है
केवल अनुग्रह की बात नहीं "श्रद्धेय" यह आपका प्यार है ॥

रूठना मनाना तो दुनिया की रीत है
मनुहार बड़ी नहीं बड़ी आपकी प्रीत है ॥

न बहाने बनाना, न अपनों को भूलाना
डगर निहारेंगीं पलकें, दरस दे राहें सजाना ॥

'मुनियाँ' और 'मुन्नी' की लाज रख जाना
"पूज्य श्री" आगमन से खुशियों को दुगनी बनाना ॥

ओमप्रकाश ठाकुर

इस कविताँ को कितनी गहराई से लिखा गया है जानने के लिए कुछ और बाते बताती हूँ .......कुंडली के हिसाब से मेरा जन्म नाम दुर्गा है और मेरे बड़े दादाजी प्यार से मुझे भगवती बुलाया करते थे इस शादी में हम लोगो को दुल्हे (विशाल) वालों के यहाँ जाना था मतलब ससुराल में जाकर ही शादी की थी इस कारण स्थान को संबोधन "श्री केदारधाम" दिया गया मेरे ससुरजी (पापाजी) का नाम केदार जोशी है और अंतिम पंक्तियों में मुनियाँ और मुन्नी का ज़िक्र किया गया है जहाँ मुनियाँ तो स्वाभाविक है मैं ही हूँ लेकिन मुन्नी मेरी माताजी (माई ) का प्यार का नाम है आप भी आनन्द लीजिये इन दोनों कविताओं का जो मेरी सुखद स्मृति का हिस्सा है और बताइए कैसी लगी ऐसी मनुहार ??



46 comments:

स्वप्न मञ्जूषा said...

सबकुछ सुन्दर...अतिसुन्दर...
बहुत दिनों बाद देखा तुम्हें..
बहुत अच्छा लगा...

Randhir Singh Suman said...

nice

डॉ. मनोज मिश्र said...

ललाहित मन , उत्सुक नयन, करबद्ध तन और दिलों में आपका प्यार है ।
मनमोहिनी सी इस बेला में "पूज्यवर" बस आपका इंतज़ार है ॥......
वाह क्या कहने हैं..
रूठना मनाना तो दुनिया की रीत है ।
मनुहार बड़ी नहीं बड़ी आपकी प्रीत है ॥..
बहुत ही सुंदर.

युग-विमर्श said...

आत्मीय उदगार अमूल्य होते हैं।संजो कर रखने योग्य्।

Arvind Mishra said...

नैसर्गिक प्रतिभा की धनी हैं आप -प्रतिभाशाली पिता की प्रतिभाशाली पुत्री ! दोनों मनुहार बहुत हृदयस्पर्शी हैं -आपकी अनुपस्थिति खटक रही थी !

Kulwant Happy said...

अब पता चला..रानी विशाल जी नाम कैसे पड़ा।


आरवी

M VERMA said...

वाह मनमोहक
मनुहार भी औत कार्ड भी
मनुहार तो भारतीय परम्परा है ही
अंग्रेजियत ने अब तो यह परम्परा ही विलुप्त कर दी है

राजभाषा हिंदी said...

बहुत सुंदर।

Udan Tashtari said...

दोनों ही रचनायें बेहतरीन...हैं कहाँ आजकल आप?

प्रस्तुतिकरण भी बहुत भाया!

Anonymous said...

मनुहार का ये तरीका बहुत ही अलग और बेहतरीन लगा

अजित गुप्ता का कोना said...

बहुत अच्‍छा प्रयास है जी। हमने भी बहुतों के कार्ड सजाए हैं।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

रानीविशाल जी!
इस पोस्ट में रचनाएँ ही नहीं,
चित्र और कलेवर भी बहुत सुन्दर है!
बहुत-बहुत बधाई!

kunwarji's said...

"सबकुछ सुन्दर...अतिसुन्दर...
बहुत दिनों बाद देखा तुम्हें..
बहुत अच्छा लगा..."

sahi kaha ada ji aapne,

kunwar ji,

संजय भास्‍कर said...

दोनों ही रचनायें बेहतरीन...हैं कहाँ आजकल आप?

संजय भास्‍कर said...

didi kaha ho aap

arvind said...

ललाहित मन , उत्सुक नयन, करबद्ध तन और दिलों में आपका प्यार है ।
मनमोहिनी सी इस बेला में "पूज्यवर" बस आपका इंतज़ार है ॥......बहुत अच्छा लगा

ताऊ रामपुरिया said...

रूठना मनाना तो दुनिया की रीत है ।
मनुहार बड़ी नहीं बड़ी आपकी प्रीत है ॥

दोनों ही मनुहार पातियां सहेजने योग्य हैं. आपका प्रस्तुतिकरण बेहद प्रसंशनिय और कलात्मक है. बहुत शुभकामनाएं.

रामराम.

समय चक्र said...

बहुत बढ़िया अभिव्यक्ति . रचना मनुहार का तो कोई जबाब नहीं .... आभार .

nilesh mathur said...

रूठना मनाना तो दुनिया की रीत है ।
मनुहार बड़ी नहीं बड़ी आपकी प्रीत है ॥
कमाल की मनुहार है, खास तौर से आपके डैडी जी की

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सुंदर चित्रों के साथ बहुत अच्छी लगी यह मनुहार....

और आप कैसी हैं? मैं अभी लखनऊ से दूर हूँ... इसलिए नेट पर आना हो नहीं पा रहा है... जल्द ही रेगुलर रहूँगा आपकी हर पोस्ट पर....हमेशा की तरह.... बहुत मिस किया है... आप सबको....

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

छोटी छोटी बातों की बड़ी बड़ी खुशियां
सहेज कर रखने और हम सबके साथ बांटने के लिये
सिर्फ़ आभार...धन्यवाद जैसे शब्द बहुत कम रह जाते हैं
बहुत भावुक कर गई आपकी ये पोस्ट.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

रानी विशाल जी!
आपको वैवाहिक वर्षगांठ पर
हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएँ!

मनोज कुमार said...

बहुत सुन्दर है!

Shekhar Kumawat said...

man nahi mana ek bar fir padne ma man huwa aap ki shadi ki gazal ki to fir se aa gaya aap ke blog par ab yahi bahta hu kar lijiye jalde se aap chai pani ka intjam kyun ki ham aaj mana kar hi jayenge aap ki वैवाहिक वर्षगांठ mana kar hi


bahut bahut badhai


shkehar kumawat


http://kavyawani.blogspot.com

डॉ टी एस दराल said...

दोनों ही रचनाएँ लाज़वाब।
यह तरीका भी बहुत अच्छा लगा ।
रानी जी , आप दोनों को वैवाहिक वर्षगांठ की हार्दिक बधाई एवम शुभकानाएं।

अनामिका की सदायें ...... said...

helo,
bahut dino baad aayi aap
lekin aate hi yaha to shehnaaiya baja di,,,,,'
me to meethi manhar aur madhur aagreh me hi kho gayi.
bahut acchhi kriti aur sach me sahez kar rakhne wali.

Girish Kumar Billore said...

विशाल जी और आप दौनों को
हार्दिक शुभ कामनायें स्वीकृत हों
अनुष्का को भी स्नेह

Tej said...

hardik subhkamnayien...meri taraf se aur aap ne aaj jis tarah se likha hai..pasan aaya.

SACCHAI said...

" ati sunder "

----eksacchai { AAWAZ }

http://eksacchai.blogspot.com

संगीता पुरी said...

दोनो रचनाएं बहुत अच्‍छी लगी ..

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

आपकी ये मीठी मनुहार और मधुर अनुग्रह दोनों ही रचनाएँ अनुपम धरोहर हैं.....आपके पिता के द्वारा रचित अनुग्रह ने मन मोह लिया....उनके हृदय के जैसे सारे आशीर्वाद इस निमंत्रण में समां गए हैं...बहुत अच्छी रचनाएँ

पूनम श्रीवास्तव said...

bahut dino baad dikhai di,.
aapki iane pyar se likhi gai manu haro ne dil ko jeet liya fir bhala koun nahi aana chahega is pavan bela me.
poonam

संजय कुमार चौरसिया said...

dono kavitayen behad achhi hain

shaadi ki salgirah ki bahut bahut
badhai

Sadhana Vaid said...

बहुत ही मधुर, मनोहर, मीठी मनुहार पत्रिकाएं पढ़ कर मन आनंदित हो गया ! पहले यही रिवाज़ सा था ! बहुत अच्छा लगा देख कर ! आपको सपरिवार हार्दिक शुभकामनायें !

http://sudhinama.blogspot.com
http://sadhanavaid.blogspot.com

सहज समाधि आश्रम said...

ये मतलब की
दुनिया
घड़ी भर में
बदलती है
नासमझ थे
जो न समझे
समय के साथ
बदलते है
माने प्यार के
अगर कविता का आनन्द लेना हो तो
नारी ह्रदय पुरुष की तुलना में अधिक
सम्बेदनशील है भले ही शब्द संरचना
उतनी सधी न हो पर मजा पूरा आता
है..धन्यवाद

mridula pradhan said...

bahut hi sunder lagi aapki kavitayen.

योगेन्द्र मौदगिल said...

अरे वाह... मजा आ गया दोनों मनुहार पातियों में.. बधाई..

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

इस मनुहार को पढकर मन आह्लादित हो गया। बधाई।
--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?

शरद कोकास said...

मुनिया इतनी बडी हो गई कि कविता लिखने लगी | यह जानकर अच्छा लगा | इस तरह की मनुहार की काव्यमय परम्परा सभी जगह होनी चाहिए |

निर्मला कपिला said...

लाजवाब कवितायें बधाई

Girish Kumar Billore said...

दीदी अप्रेल मई जून अब कब हमें मिलेंगी देखने को रचनाएं ब्लाग पर ????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????????

संजय पाराशर said...

बहुत ही सुहृदयता के साथ लिखी है आपने कविता ... सूक्ष्म से सूक्ष्म बातो को उकेरा है...

Rajeysha said...

क्‍या हुआ रानी जी काफी दि‍न हुए कुछ लि‍खा नहीं

दीपक 'मशाल' said...

आप हैं कहाँ आजकल???

पूनम श्रीवास्तव said...

raani ji aapki meethi manuhar ne to man moh liya .aapki ye rachna bahut man bhai aur aapke pitaji ka anugrah vastav me likh kar rakhne layak hai.
par yeto bataiye aap itane dino se kahan gayab hain .punah aapka intajaarrahega.
poonam

निर्मला कपिला said...

वाह तो ये राज़ है रानी विशाल का। सुन्दर पोस्ट। बधाई