मांग सिंदूर, माथे पर बिंदिया
रचाई मेहंदी दोनों हाथ
साज सिंगार कर, आज मैं निखरी
लिए भाग सुहाग की आस
प्रिय यह जनम जनम का साथ
पुण्य घड़ी का पुण्य मिलन बना
मेरे जग जीवन की आस
पूर्ण हुई मैं, परिपूर्ण आभिलाषा
पूर्ण हुई मैं, परिपूर्ण आभिलाषा
जब से पाया पुनीत यह साथ
प्रिय यह जनम जनम का साथ
व्रत, पूजन कर दे अर्ध्य चन्द्र को
मांगू आशीष विशाल ये आज
जियूं सुहागन, मरू सुगागन
रहे अमर प्रेम सदा साथ
प्रिय यह जनम जनम का साथ
हर युग, हर जीवन, मिले साथ तुम्हारा
रहे तुम्ही से चमकते भाग
मैं-तुम, तुम-मैं, रहे एक सदा हम
कभी ना छुटे यह विश्वास
प्रिय यह जनम जनम का साथ
प्रिय यह जनम जनम का साथ
व्रत, पूजन कर दे अर्ध्य चन्द्र को
मांगू आशीष विशाल ये आज
जियूं सुहागन, मरू सुगागन
रहे अमर प्रेम सदा साथ
प्रिय यह जनम जनम का साथ
हर युग, हर जीवन, मिले साथ तुम्हारा
रहे तुम्ही से चमकते भाग
मैं-तुम, तुम-मैं, रहे एक सदा हम
कभी ना छुटे यह विश्वास
प्रिय यह जनम जनम का साथ
आज करवा चौथ के पावन दिन पूरी आस्था और विशवास के साथ परम पिता परमेश्वर के चरणों में यह परम अभिलाषा समर्पित है और आप सभी मेरे ब्लॉग परिवार को भी मेरा चरण वंदन आज कमेन्ट में अपने स्नेह के साथ यही आशीष प्रदान करे कि मैं हर जीवन हर जनम अखंड विशाल सौभाग्य प्राप्त करू ....
सादर प्रणाम
सादर प्रणाम