दगाओं से भरा मेरा दामन
तो इक तेरी वफ़ा क्या है
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है
चटक कर बह उठा ये तो
है लावा दर्द का दिल के
हमदर्दी ना रास आई
भला दिल की ख़ता क्या है
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है
अब तो दिन रात हर पल
अश्कों की बरसात होती है
वो कहते है बहार आई
मैं क्या जानू समां क्या है
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है
बड़ा मेहरबां सितमगर है
हजारों ज़ख्म देता है
खुद ही अंजान है लेकिन
भला ये भी अदा क्या है
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है
दरिया-ए-आब ये गहरा
डूब जाना ही किस्मत है
मगर इसमे जो ना डूबे
तो जीने का मज़ा क्या है
दुआएँ भी दर्द देती है
दवाओं की ख़ता क्या है