Wednesday, February 17, 2010

अपना खून (कहानी)

शाम ढलने को है... मीनाक्षी का दिल बैठा जारहा है शोभना .....भाभी आप फीक्र ना करो रिपोर्ट ठीक ही आएगी मीनाक्षी .....जैसे तुम कह रही हो वही होगा, ना जाने क्या कहा होगा मूए डाक्टर ने इतने में ही सुधीर पहुचता है मुरझाया चहरा कापते हाथो से रिपोर्ट मीनाक्षी को देते हुए तखत पर लेट जाता है रिपोर्ट में तो साफ लिखा है.. मीनाक्षी को यूट्रस केंसर हुआ है पड़ते ही मीनाक्षी की आँखों से अश्रु धाराए बहने लगाती है शोभना... अरे भाभी आप क्यों दिल छोटा करती है, आप ही तो कहती है ना कि मैं ही आपकी संतान हूँ हा रे तो मैंने कब ना कहा ? मुझे तो डर अब इतना है की तुम्हारे भैया ना मानेंगे वो अगर समझ भी गए तो माताजी के आगे उनकी एक चलेगी ...! चिंता में डूबी रोते रोते मीनाक्षी आपने काम में लग जाती है
इधर श्रीमती विमला देवी मीनाक्षी की सासू माँ मंदिर से घर को लोटती है! घर का सन्नाटा उन्हें सब कुछ कह देता है रिपोर्ट जानने की तो जरुरत ही नहीं उन्हें .....सुधीर मैं कह देती हूँ तुझे, अब तेरी एक चलने दूंगी मीनाक्षी का ओपरेशन होते ही मेघना के पिताजी को पत्र लिख दूंगी तेरे दुसरे ब्याह के लिए हम भी राज़ी है
मीनाक्षी सूजी आँखों से आथ में पानी का ग्लास लिए माताजी को तक रही है .....की शायद वो उसके ह्रदय का रोदन सुन पाए किंतु दकियानुसी मान्यताओ को दिलो दिमाग पर सवार किये विमला देवी को ये सब नहीं दिखता
ये सब देखती, शोभना सोच रही है.... "भाभी ने किसी संतान को जन्म ना दिया मगर उनके दिल में भरी ममता दो बच्चो की माँ को नहीं दिखाई दे रही ये कैसी विडम्बना है" !
जैसे कल ही की तो बात है, मीनाक्षी सुधीर के ही कालेज में पढाया करती थी! एका एक दोनों में प्यार हुआ और सहर्ष विमला देवी मीनाक्षी को बहूँ बना आपने घर ले आई देखते देखते १0 साल बीत गए इन १0 सालो में विमला देवी ने कहाँ कहा जाने कौन कौन से देवी देवताओ से आपना पोता माँगा, किंतु मीनाक्षी की गोद ना भरी इधर मीनाक्षी को भी मातृत्व का सुख बहुत ललचाता था, किंतु अपनी १७ साल की ननद शोभना को माँ के जैसा ही स्नेह देती थी वो और शोभना के लिए भी भाभी से बड़ कर कोई था इस बिच मीनाक्षी ने अपनी कालेज की नोकरी छोड़ बच्चो के स्कूल में नोकरी कर ली छोटे छोटे बच्चो को पढाना उन्हें दुलारना उसे बहुत ख़ुशी देता था औरत चाहे माँ ना बने पर ममता तो उसमे कूट कूट कर भरी होती है, और इसी ममता को वह दुनिया भर में लुटाती रहती है किंतु पुरुष प्रधान दकयानुसी समाज के ठेकेदारों को ये बात कहा हजम होती है ....."मदर टेरेसा ने भी तो किसी बच्चे को जन्म नहीं दिया, फिर भी उनकी ममता के सैलाब ने उन्हें सारे विश्व की माँ बना दिया" !
जैसे तेसे रात कटती है सुबह मीनाक्षी को अस्पताल में दाखिल करा दिया जाता है उसकी यूट्रस ओपरेशन कर निकालना बहुत जरुरी है... वर्ना उसकी जान भी जा सकती है मीनाक्षी आशा भरी नज़रो से सुधीर को एक टूक देख रही है सारी रात वो सुधीर से यही मिन्नत करती रही की ओपरेशन के बाद वो दोनों एक बच्चा गोद ले लेंगे किंतु सुधीर का अभिमान उसे एक झूठा दिलासा भी दे सका !
ओपरेशन थिएटर के दरवाज़े बंद हो जाते है सुधीर बेंच पर बैठा गहरी सोच में डूबा है वो अपने अन्दर के अपराधी को क्षमा तो नहीं कर पा रहा कितु प्राश्चित भी उसे गवारा नहीं वह अच्छी तरह से जनता है.. की कई साल पहले ही उसे डाक्टर ने स्पष्ट शब्दों में बता दिया था कि कमी सुधीर में है मीनाक्षी में नहीं, किंतु उसने यह बात सबसे छुपाईउसकी इसी हरकत के कारण मीनाक्षी को उसकी माताजी की कई प्रतारणाए और समाज से बाँझ होने का ताना भी मिला किंतु सुधीर चुप चाप इतने सालो से यह तमाशा देखता रहा मीनाक्षी से प्यार करते हुए भी ना वो अपनी माताजी को उसकी दूसरी शादी के प्रयासों से रोक पाया नीम हाकिमो की उल्टी सीधी दवाए उन्हें मीनाक्षी को खिलाने से रोक सका वो अच्छी तरह जानता है की इन हकीमी नुस्खो की ही वजह से आज मीनाक्षी की यह दशा हुई है जिंदगी से भरी चंचल सदा खुश रहने वाली वो लड़की दिल में गहरे घाव लिए...आज जिंदगी के लिए लड़ रही है
शोभना ...भैया आप भाभी को झूट ही कह दीजिये ना की आप दूसरी शादी नहीं कर रहे, आप लोग एक बच्चा गोद लेलेंगे शोभना दूसरी शादी मैं भी नहीं करना चाहता पर माँ के आगे मेरी चलती नहीं किंतु बच्चा गोद लेने का झूट मुझसे नहीं कहा जाएगा .."मैं कैसे किसी और की औलाद को आपना नाम दे कर आपना लू , जोकि मेरा खून ही नहीं" ये मुझसे नहीं होगा
शोभना भारी दिल से चुप चाप बैठ जाती है, सोच रही है... एक नारी एक इंसान उसके परिवार को अपना सारा जीवन समर्पित करती है उसके अपनो को ऐसे अपना लेती है कि अपने पराए का फर्क ही ना दिखे एक भाभी, बहू के रूप में अपना स्नेह लुटाते उसने तो कभी ये नहीं सोचा की ये मेरा खून नहीं है फिर एक पुरुष ऐसी तुच्छ सोच कैसे रख सकता है बिचारी अपने ही घर में भाभी से हो रहे व्यवहार को देख ससुराल की कल्पना मात्र से सिहर उठती है ।
ओपरेशन थिएटर के दरवाज़े खुल जाते है ...डॉक्टर सुधीर को बताते है की ओपरेशन तो ठीक से हो गया किंतु उस दोरान सदमे की वजह से मीनाक्षी को माइनर हार्ट अटेक आगया है अब सभी को उसका ख़ास ख्याल रखना है
बेहोश पड़ी मीनाक्षी की दशा देख शोभना सिसक सिसक कर रो रही है ....अचानक विमला देवी उस पर नाराज़ होती है एक तेरी ही भाभी हुई दुनिया में, अरि रोती क्यों है ?? तुझे तो खुश होना चाहिए उसकी जान बच गई और अब तेरे भैया की दूसरी शादी की भी तो तैयारियाँ करनी है न ! शोभना के तो होश ही उड़ जाते है माताजी तो अब भी अपने इरादों पर जस की तस है
इधर सुधीर पत्थर की मूरत बना सब सुन रहा था ..या यू कहिये प्यार और इंसानियत को अपने पेरो तले कुचल रहा था कुछ घंटो में मीनाक्षी को होश आजाता है नर्स कहती है वो अपने पति को याद कर रही है.. आप उनसे मिल लीजिये नर्स ....पेशंट की हालत ज्यादा ठीक नहीं है, आप बहुत बाते करियेगा इतना कह कर नर्स वह से चली जाती है
इधर मीनाक्षी अपने साँसों की माला पर सुधीर का नाम जप रही है ....सुधीर तुम कहा हो ? सुधीर, सुधीर
सुधीर ....मीनाक्षी मैं तो यही हू तुम्हारे पास, तुम आराम करो, तुम्हे नींद की बहुत जरुरत है
सुधीर तुम बस एक वादा करो फिर मैं चैन से सो जाउंगी ......हम जल्द ही बच्चा गोद लेंगे ना ?
सुधीर फिरसे पाषाण की तरह खड़ा खड़ा उसे तक रहा था ....प्लीज सुधीर हा कहो मेरा दिल दहल रहा है, हा कहो ना सुधीर
तुम
आराम क्यों नहीं कराती मीनाक्षी, बार बार यही बाते ले बैठती हो पहले तुम ठीक हो जाओ ये सब बाद में सोचेंगे नहीं सुधीर माताजी के विचार मैं जानती हूँ तुम मुझे वचन दो ...अभी वचन दो सुधीर थर्राते हुए ..क्या वचन दू मीनाक्षी ?? तुम्हे अनाथ आश्रम में जाकर जीतनी ममता लुटाना है लुटाना मैं मना नहीं करूँगा लेकिन किसी और की संतान को अपना नाम देना ..जोकि मेरा खून नहीं है ये मुझसे नहीं होगा मीनाक्षी सुधीर मीनाक्षी का हाथ निचे रख अपने हाथो उसके आसूँ पोछते हुए कहता है, तुम ये सब कुछ मत सोचो तुम्हे तो रिकवर होना है न ? हम दोनों ही एक दुसरे के लिए काफी है मीनाक्षी आँखे बंद कर सो जाती है सुधीर कमरे के बहार आजाता है मीनाक्षी अच्छी तरह से ये जान चुकी थी कि सुधीर का इतना कह देना काफी नहीं था
सुबह होते हि शोभना भाभी के लिए चाय लेकर अस्पताल आती है भाभी अब कैसी हो ? थोड़ी चाय पी कर फिर आराम करना मीनाक्षी का निष्प्राण शरीर समस्त कष्टों से मुक्त बिस्तर पर पड़ा था कई बार उठाने पर भी जब मीनाक्षी ना जगी शोभना को अनर्थ की आशंका हुई रोती हुई शोभना कमरे से बहार आती है उसकी आवाज़ सुन डाक्टर नर्स सभी दोड़ पड़ते है सुधीर भी माताजी के साथ पहुच चूका है हड़ बड़ाते हुए सुधीर डॉक्टर के पास पंहुचा .....
हमें बहुत अफ़सोस है मिस्टर सुधीर, लेकिन इनकी मृत्यु हुए घंटे हो गए शोभना के चहरे से हवाइया उढ़ जाती है सुधीर हारा सा दुखी मन लेकर खड़ा है .....माताजी भी विलाप कर रही है ममता की देवी अपना स्नेह भरा विशालह्रदय लिए निष्प्राण पड़ी हैउसकी म्रत्यु हो गई ? जी नहीं "अपने खून" का राग अलापने वाले कलंकित समाज के इन कलंको ने उसका खून कर दिया अचानक मोबाईल की घंटी बजती है, सुधीर दुःख में अपने हाथ से फोन माताजी को देता है माताजी रोते हुए ही ....कौन दुबेजी (मेघना के पिताजी ), क्या कहू बड़ा दुःख आन पड़ा है... मेरी प्यारी मीनाक्षी चल बसी मैं अभी बहुत दुखी हूँ १३ दिन बाद आपसे चर्चा करती हूँ


31 comments:

राजीव तनेजा said...

समाज की कटु सच्चाई को उजागर करते एक बेहद मार्मिक कथा ...
ना जाने कब सोच बदलेगी...कब ज़माना बदलेगा?

Udan Tashtari said...

क्या कहा जाये इस समाज की सोच का!

मार्मिक कहानी!

दीपक 'मशाल' said...

बहुत ही संवेदनशील कहानी लिखी आपने.. ऐसे हर सुधीर को पत्थरों से संगसार करा जाना चाहिए..

डॉ. मनोज मिश्र said...

गहरी कहानी.गहन सम्वेदना

Arvind Mishra said...

दुखांत !
सत्य ,.किन्तु नग्न सत्य
मुझे तो सुखांत कहानियां पसंद आती हैं
ख्याल अपना अपना पसंद अपनी अपनी

रानीविशाल said...

आदरनीय चाह तो मेरी भी यहि थी कि सुखमय अन्त करु, किन्तु इस कहानी की प्रेरणा एक सत्य घटना है....इसिलिये मै समाज का यह काला स्वरुप सभी को दिखना चाहती हू....!!
अगर वस्त्विक जीवन मै ऐसी कहनियो के सुखद अन्त होना शुरु हो जाए तो वही हम सब की सच्ची जीत होगी!

M VERMA said...

जी नहीं "अपने खून" का राग अलापने वाले कलंकित समाज के इन कलंको ने उसका खून कर दिया ।
यह समाज जो बाहर से बहुत सभ्य दिखता है पर अन्दर से --- और फिर ऐसे खून तो सामान्य घटनाओं का हिस्सा बनते जा रहे हैं
अत्यंत मार्मिक

Dev said...

बहुत माम्रिक कहानी ......आखिर अब तो सुधर जाये हमारा समाज .

मनोज कुमार said...

जीवन की सच्चाई को बयान करती एक मार्मिक रचना।

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

बहुत मार्मिक कथा।

बाल भवन जबलपुर said...

नारी इस जीजिविषा से कब मुक्त होगी.?
मीनाक्षी का ओपरेशन होते ही मेघना के पिताजी को पत्र लिख दूंगी तेरे दुसरे ब्याह के लिए हम भी राज़ी है

निर्मला कपिला said...

मार्मिक कहानी । समाज का विकृित चेहरा । बहुत बहुत अधन्यवाद इस कहानी के लिये

ताऊ रामपुरिया said...

बहुत ही गहन मार्मिकता और समाज की सच्चाई को बयान करती हुई रचना. असली चेहरा है.

रामराम.

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

कड़वी सच्चाई बयां करती...कब समाज की मानसिकता बदलेगी....और पुरुषों का दंभ????

kshama said...

Aankhen nam ho gayin...

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

रानी विशाल साहिबा, आदाब
आधुनिक समाज के पैरों में पड़ी...
दकियानूसी विचारों को उजागर करती...
कथा...??? (व्यथा)

vandana gupta said...

samaj ka vibhats chehra dikhati rongte khade kar dene wali atyant marmik kahani hai jo kahin na kahin sab ko sochne ko majboor karegi magar jab tak soch mein badlaav nhi aayega na jaane kitni ablayein in manyataon ki shikar hoti rahengi.

Mithilesh dubey said...

ओह अन्त में सारे मर्म उभर गयें , बेहद मार्मिक कहानी लगी । अगर आप इसे दो किस्तो में प्रस्तुत करती तो और भी बढ़िया रहता ।

Akanksha Yadav said...

संवेदनशील कहानी ...अत्यंत मार्मिक !!

Nitin said...

sachhi ghatana ka bahut achha chitran. Samaj ko aaina dikhati hai ye kahani.

''अपनी माटी'' वेबपत्रिका सम्पादन मंडल said...

bahut khub

माणिक
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स्वप्न मञ्जूषा said...

bahut hi marmik kahani..
samaj ko aaina dikha gayi hai..

kumar zahid said...

apka kathshilp chitron ke rang se nikhra hai aur jyada. management ke gur apme hain isliye bhumikayein apki vishvasneey hai,
Badhaiyan..

संजय भास्‍कर said...

sory for late didi ji..

संजय भास्‍कर said...

मार्मिक कहानी । समाज का विकृित चेहरा । बहुत बहुत अधन्यवाद इस कहानी के लिये

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

अब जा कर मुझे फुरसत मिली है.... प्लीज़ माफ़ कर दीजियेगा.... बहुत मार्मिकता के साथ.... कितनी सम्वेदाब्शील कहानी लिखी है आपने.... बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर कर दिया.... आपकी लेखनी को नमन....

Regards....

shikha varshney said...

marmik kahani katu satya samaj ka.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

कहानी बहुत मार्मिक है!

रश्मि प्रभा... said...

mann bhar aaya

Apanatva said...

marmik kahanee.........

Anonymous said...

sach aankhon main aansoo aa gaye,,,
kya kuch likh diya aapne...
rula hi diya...