एक चहरे पर कई चहरे लगाए रखते है लोग
सच्चाई को कितने पर्दों में छुपाए रखते है लोग
लबों पर नाम है जिनका उन्ही से शिकवे हज़ार है
यूही नफ़रत को दिलों में दबाए रखते है लोग
फ़र्ज़ से अपने ही खुद मुह मोड़ कर बैठे रहते है
वफ़ा की उम्मीदे सभी से लगाए रखते लोग
उनके रुतबे ओ शान का बस ध्यान हो सदा
कमज़ोर को हर जगह सताए रखते है लोग
इस ज़िन्दगी में "रानी" दिए लोगो ने बहुत ज़ख्म
यादों में फिर भी अक्सर जगह बनाए रखते है लोग
24 comments:
लबों पर नाम है जिनका उन्ही से शिकवे हज़ार है
यूही नफ़रत को दिलों में दबाए रखते है लोग
ये नफ़रतें दिल में लिए फ़िरते रहे सदा
बाद खंजर भी छुप कर चलाते हैं लोग
बेहतरीन गजल
आभार
उनके रुतबे ओ शान का बस ध्यान हो सदा
कमज़ोर को हर जगह सताए रखते है लोग
bahut badhiya...!
उनके रुतबे ओ शान का बस ध्यान हो सदा
कमज़ोर को हर जगह सताए रखते है लोग
-बहुत उम्दा शेर निकाले हैं, वाह! बधाई.
सुंदर प्रस्तुति!
हिन्दी हमारे देश और भाषा की प्रभावशाली विरासत है।
raani bhn aaj subh subh bhtrin gzl ka naashtaa mil yaa schchayi yhi he ise aapne afaazon men qed kr hmen chetaa diyaa shukriyaa. akhtar khan akela kota rajsthan
गजल बहुत ही शानदार है
ये नफ़रतें दिल में लिए फ़िरते रहे सदा
बाद खंजर भी छुप कर चलाते हैं लोग
ये लाइन तो बहुत ही शानदार है.
आपको बधाई.
bahut hee khubsurat rachna lagi, badhai
आदरणीया रानी विशाल जी
नमस्कार !
एक चेहरे पर कई चेहरे लगाए रखते है लोग
सच्चाई को कितने पर्दों में छुपाए रखते है लोग
क्या बात है ! बहुत ख़ूब !
मैं कहता हूं
बदल बदल लिबास परेशान हो गया
चेहरों पॅ चेहरे ओढ़ के हैरान हो गया
ख़ुद की तलाश में लहूलुहान हो गया
इंसान खो गया
इस ज़िन्दगी में "रानी" दिए लोगो ने बहुत ज़ख्म
यादों में फिर भी अक्सर जगह बनाए रखते है लोग
दुनिया की फ़ितरत ही ऐसी है ।
लेकिन , न इंसान अपनी इंसानियत छोड़ता है न ही पवित्र हृदय वाले अपने प्रियजन को भुला सकते है ।
अच्छी रचना है
बधाई के साथ शुभकामनाएं !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
इस ज़िन्दगी में "रानी" दिए लोगो ने बहुत ज़ख्म
यादों में फिर भी अक्सर जगह बनाए रखते है लोग ..
क्या बात है रानी विशाल जी...
बहुत उम्दा ग़ज़ल है...
क्या बात है रानी विशाल जी...
इस ज़िन्दगी में "रानी" दिए लोगो ने बहुत ज़ख्म
यादों में फिर भी अक्सर जगह बनाए रखते है लोग
बहुत उम्दा ग़ज़ल है...
क्या कहने बहूत खूब !
किस शेर को पकडूं और किसे छोडूं…………कमाल कर दिया रानी जी आपने तो………………हर शेर सच्चाइयों से रु-ब-रु करवा रहा है।
उनके रुतबे ओ शान का बस ध्यान हो सदा
कमज़ोर को हर जगह सताए रखते है लोग
dhanyvaad rani ji,
itani behatareen gazal tathamere blog par aapki wapsi ke liye.aapo apne blog par dekh kar bahut hi achha lagta hai.
aur ek baat aapne mere liye bhagwan se dil se guva maangi iske liye punah
dhanywad.lekin sach yahi ki ab jo koi bhi sota use jagaane me mujhe bahut dukh hota hai.lagta hai ki auro ki neend bhi kharaab kar rahi hun.
poonam
कमजोर को हर जगह सताते है लोंग ...
यही इस ज़माने का दस्तूर हो गया है ...
@ दुनिया की फ़ितरत ही ऐसी है ।
लेकिन , न इंसान अपनी इंसानियत छोड़ता है न ही पवित्र हृदय वाले अपने प्रियजन को भुला सकते है ..
ऐसे मुट्ठी भर इंसान ही तो संतुलन बनाये हुए हैं ..!
बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल........ बहुत खूब!
उनके रुतबे ओ शान का बस ध्यान हो सदा
कमज़ोर को हर जगह सताए रखते है लोग
--
बहुत बढ़िया!
--
पते की बात कही है!
फ़र्ज़ से अपने ही खुद मुह मोड़ कर बैठे रहते है
वफ़ा की उम्मीदे सभी से लगाए रखते लोग
...behtreen gajal
aabhar
लबों पर नाम है जिनका उन्ही से शिकवे हज़ार है
यूही नफ़रत को दिलों में दबाए रखते है लोग
और...
फ़र्ज़ से अपने ही खुद मुह मोड़ कर बैठे रहते है
वफ़ा की उम्मीदे सभी से लगाए रखते लोग...
उम्दा ग़ज़ल के बेहतरीन शेर.
लबों पर नाम है जिनका उन्ही से शिकवे हज़ार है
यूही नफ़रत को दिलों में दबाए रखते है लोग
बहुत बढ़िया प्रस्तुति... कुछ इस तरह से भी
यू ही नफरतों को दिल में क्यों बसा लेते हैं लोग...
चेहरे पर नफरतों का चेहरा क्यों लगा लेते हैं लोग ...
सुन्दर लिखा हैं ... आज का आदमी कुछ ऐसा ही हैं ...
लबों पर नाम है जिनका उन्ही से शिकवे हज़ार है
यूही नफ़रत को दिलों में दबाए रखते है लोग
बिलकुल सच कहा ...बहुत खूबसूरत गज़ल ..एक से बढ़ कर एक शेर ...ज़िंदगी के सच को कहते हुए ....
bhavabhivyakti sunder hai.....sadhuwaad...
rani di 1 kavi sammelan rakh lete hai ,,,,,,,,,,,,,,,,,
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