शवेत कमल पर बैठी माता
बुद्धि ज्ञान की तुम ही दाता
वर दो सरस्वती माँ ...
अँधियारा है इस जीवन में
तू ज्ञान का दीप जला
बुद्धि ज्ञान का हमको वर दो
जग-मग जग-मग जीवन कर दो
अज्ञान का है घनघोर अँधेरा
मन दिव्य ज्ञान भण्डार से भर दो
वर दो सरस्वती माँ ...
रस छंद और अलंकार
राग रागिनी के स्वर भण्डार
नृत्य शास्त्र या कोई कला हो
कुछ ना है ऐसा, जो न तुझसे पला हो
मन में सोच हो, तन में लौच हो
और हाथो में सारी कला
वर दो सरस्वती माँ ...
अभिमानी नहीं स्वाभिमानी बने हम
सहनशील, सदा विनम्र रहे हम
नवजीवन का आदर्श बने जो
ऐसे अपने कर्म करे हम
हौंठो पर हो क्षमा सदा ही
और दिल में बसी हो दया
वर दो सरस्वती माँ ...
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1 comments:
jai maa saraswati
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