विचार मंथन हो रहा मन में मेरे क्यों आज कल ?
घन-घोर चिंतन हो रहा मन में मेरे क्यों आज कल ?
देश की अस्मिता को लुट रहा ये कौन है ?
देश के सब वीरो का क्यों बाहुबल अब मौन है ?
सो गई है क्या वो शक्ति भारत के नौजवान की ?
कहाँ गई वो देश भक्ति हिन्दुस्तान के इंसान की ?
इंन्सानियत की भूमि पर क्यों लालच के बादल छा रहे ?
देशवासी आज क्यों बलिदान से कतरा रहे ?
फैली अशांति देश में अब त्रांहि-त्रांहि मच रही !
आए दिन इस देश में खतरे की घंटी बज रही !!
घूसखोरी रोकती है उन्नति की राहें आज क्यों ?
सिमटी हुई है प्रेम और दया की बाहें आज क्यों?
देश के नेताओं की आत्मीयता क्यों सो रही ?
गाँधी नेहरू की रूहें क्यों आहें भर भर रो रही ??
क्यों इस तरह से देश की नष्ट हो रही एकता ?
इसी सेह से दुश्मन यहाँ बुरी नज़र से देखता !!
मेरे सवाल बस है यही बातों में न इन्हें टालना !
मांगता है हर शिशु क्यों इक सुरक्षित पालना ??
8 comments:
मेरे सवाल बस है यही बातों में न इन्हें टालना !
मांगता है हर शिशु क्यों इक सुरक्षित पालना ??
bahut sahi saarthak aur saamyiik prashn hai aapka..
aaj ke sandarbh main likhi gayi aapki kavita bahut pasand aayi..
blog ke naam milte hain..vichaar milte hain abhi aage aage dekhiye kya-kya milte hain..hairan hone ke kaii avsar milenge aisa lagta hai...ha ha ha..
प्रभावित करती कविता
आपकी रचना और प्रपफाइल दोनों को देखा रानी जी। कविता में आपने "क्यों" के माद्यम से कई जलते सवाल उठाये। चिन्ता आपकी जायज है और कोशिश बेहतर।
जिसने लूटा चमन, बागबाँ है वही
इस चमन के सुमन छटपटाते रहे
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
मेरे सवाल बस है यही बातों में न इन्हें टालना !
मांगता है हर शिशु क्यों इक सुरक्षित पालना ??
वाह वाह
क्यों इस तरह से देश की नष्ट हो रही एकता ?
इसी सेह से दुश्मन यहाँ बुरी नज़र से देखता !!
-बहुत उम्दा!!!
रानी जी सोच आपकी विशाल है
देश समस्याओं से घिरा जंजाल है
सच फटेहाल और कंगाल बेहाल है
तमाचे सच को और गाल लाल है
बहुत सार्थक सवाल सुन्दर रचना है. बधाई.
सुंदर,गहन.
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