हम आंसू पीकर जीते है
बस आंसू पीकर जीते है
फूल हटा कर कांटे दे दे
ये इस दुनिया की रीते है
हम आंसू पीकर जीते है
कहने को तुम कुछ भी कह लो
सारे काम हम करते है
रोज़ सुबह को जीते है
और रोज़ शाम को मरते है
हम आंसू पीकर जीते है
पल पल दिन का याद करे
जब सर तकिये पर धरते है
करना चाहा वो कर ना सके
ये सच कहने से डरते है
हम आंसू पीकर जीते है
छोड़ दिया जब तुझको हमने
फिर क्यों आहें भरते है
बस तेरा मेरा प्यार नहीं इक
दुनिया में और भी प्रीते है
हम आंसू पीकर जीते है
बस आंसू पीकर जीते है
17 comments:
हम आंसू पीकर जीते है
बस आंसू पीकर जीते है nice
छोड़ दिया जब तुझको हमने
फिर क्यों आहें भरते है
बस तेरा मेरा प्यार नहीं इक
दुनिया में और भी प्रीते है
दुख में सुख ढ़ूँढ़ती एक सुंदर कविता ।
हम आंसू पीकर जीते है
बस आंसू पीकर जीते है
बेहतरीन रचना, बधाई.
बेहतरीन भावो के साथ उम्दा अभिव्यक्ति , बहुत खूब ।
बहुत भावपूर्ण रचना !
सुंदर शब्दों के साथ..... भावपूर्ण व गहन रचना ....
आभार...
acchi lagi tumhaari rachna..
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना, बधाई ।
जिंदगी की जद्दोजहद
बहुत बेह्तरीन प्रस्तुति ...
जो आँसू पी कर जी गया समझो उसने ज़िन्दगी को जान लिया और जीत लिया बहुत सुन्दर रचना है बधाई
रानी विशाल साहिबा, आदाब
.....रोज़ सुबह को जीते है
और रोज़ शाम को मरते है
हम आंसू पीकर जीते है...
जीवन तो इसी का नाम है.
फूल हटा कर कांटे दे दे
ये इस दुनिया की रीते है
जी हाँ दुनिया की रीत तो यही है
सुन्दर रचना
छोड़ दिया जब तुझको हमने
फिर क्यों आहें भरते है
बस तेरा मेरा प्यार नहीं इक
दुनिया में और भी प्रीते है
हम आंसू पीकर जीते है
बस आंसू पीकर जीते है
sundar ati sundar
बहुत सुंदर रचना, शुभकामनाएं.
रामराम.
kya sab pite he aasu
आप कहते हैं :
कहने को तुम कुछ भी कह लो
सारे काम हम करते है
रोज़ सुबह को जीते है
और रोज़ शाम को मरते है
हम कहते है :
दर्द का समाया
बेवजह ही आया
सांसे हम ले खुलकर
हर जगह रौशनी का साया
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