Sunday, February 21, 2010

हृदय में ही ईश्वर रहता है

सरल हृदय सदभाव लिए, सदैव सरिता सा बहता है ।
अभिमान सदा पैरो को पसारे, उसकी राहों में रहता है ।।

अभिमान ने ज्ञान को नष्ट किया, ना ज्ञानी कभी अभिमानी हुए ।
दे रोशनी दीया भी अन्धकार हरे, ना चूल्हे की लो का किनारा बना ।।

स्नेह से अपना ले गैरो को भी, सच्चे अर्थ में गुणवान वही ।
अनुराग से दूजो का ध्यान धरे, सबसे ऊँचा तो ज्ञान यही ।।

भटको को सच्ची राह दिखा, सदगुरु ने बेड़ा पार किया ।
तकरार से ना कभी प्रीति बढ़ी, सदाचार ने प्रेम अपार किया ।।

ना औरो के ह्रदय आहत करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं, इतिहास भी ऐसा ही कहता है ।।

23 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत सुन्दर व भावपूर्ण रचना है।बधाई।

कुलवंत हैप्पी said...

अद्भुत विचार,
अगर मैं गलत नहीं तो कृप्या सद्गुरु-सदगुरु को ठीक करें

Unknown said...

"अभिमान ने ज्ञान को नष्ट किया, ना ज्ञानी कभी आभिमानी हुए।"

अति सुन्दर!

Dev said...

अति उत्तम रचना ....भावों से पूर्ण

देवेन्द्र पाण्डेय said...

...अच्छे भाव.

संजय भास्‍कर said...

अति उत्तम रचना ....भावों से पूर्ण

अनामिका की सदायें ...... said...

margdarshan karti ek bhaavpoorn rachna.

मनोज कुमार said...

भटको को सच्ची राह दिखा, सद्गुरु ने बेड़ा पार किया ।
तकरार से ना कभी प्रीति बढ़ी, सदाचार ने प्रेम अपार किया ।।
अच्छे विचारों के साथ एक अच्छी कविता।

विजयप्रकाश said...

मेरे विचार से कविता एक समय विशेष की मनोदशा को शब्दों में व्यक्त करना है. यह आप बखू़बी कर रही हैं.सुंदर.

डॉ. मनोज मिश्र said...

स्नेह से आपना ले गैरो को भी, सच्चे अर्थ में गुणवान वही ।
अनुराग से दूजो का ध्यान धरे, सबसे ऊँचा तो ज्ञान यही ।।
vaah...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

ना औरो के ह्रदय आहात करो,
हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं,
इतिहास भी ऐसा ही कहता है।।

सच्ची बात!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति!

Yogesh Verma Swapn said...

ना औरो के ह्रदय आहात करो,
हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं,
इतिहास भी ऐसा ही कहता है।।

sunder sachchi baat,umda rachna.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

सुंदर भाव के साथ...बहुत सुंदर कविता....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ना औरो के ह्रदय आहात करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं, इतिहास भी ऐसा ही कहता है ।।

सच्चा सन्देश देती हुई अच्छी रचना..

Akshitaa (Pakhi) said...

अपने तो बहुत बढ़िया कविता लिखी.

Udan Tashtari said...

बढ़िया रचना..पसंद आई.

Amitraghat said...

"सुन्दर रचना..."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

Arvind Mishra said...

सदाचार का सीख देती अच्छी कविता

Mithilesh dubey said...

सुंदर भाव के साथ,बहुत सुंदर कविता.

Amitraghat said...

"धन्यवाद आपका
..."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

Kamlesh Sharma said...

ना औरो के ह्रदय आहत करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
सुन्‍दर सृजन, श्रेष्‍ठ अभिव्‍यक्ति ।

निर्मला कपिला said...

ना औरो के ह्रदय आहत करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं, इतिहास भी ऐसा ही कहता है ।।बहुत सुन्दर रचना है और ब्लाग की साज सज्जा से पता चल रहा है कि होली आने वाली है
शुभकामनायें

jayanti jain said...

Big Truth but understand few. the question is what we should do to realize it.