सरल हृदय सदभाव लिए, सदैव सरिता सा बहता है ।
अभिमान सदा पैरो को पसारे, उसकी राहों में रहता है ।।
अभिमान ने ज्ञान को नष्ट किया, ना ज्ञानी कभी अभिमानी हुए ।
दे रोशनी दीया भी अन्धकार हरे, ना चूल्हे की लो का किनारा बना ।।
स्नेह से अपना ले गैरो को भी, सच्चे अर्थ में गुणवान वही ।
अनुराग से दूजो का ध्यान धरे, सबसे ऊँचा तो ज्ञान यही ।।
भटको को सच्ची राह दिखा, सदगुरु ने बेड़ा पार किया ।
तकरार से ना कभी प्रीति बढ़ी, सदाचार ने प्रेम अपार किया ।।
ना औरो के ह्रदय आहत करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं, इतिहास भी ऐसा ही कहता है ।।
अभिमान सदा पैरो को पसारे, उसकी राहों में रहता है ।।
अभिमान ने ज्ञान को नष्ट किया, ना ज्ञानी कभी अभिमानी हुए ।
दे रोशनी दीया भी अन्धकार हरे, ना चूल्हे की लो का किनारा बना ।।
स्नेह से अपना ले गैरो को भी, सच्चे अर्थ में गुणवान वही ।
अनुराग से दूजो का ध्यान धरे, सबसे ऊँचा तो ज्ञान यही ।।
भटको को सच्ची राह दिखा, सदगुरु ने बेड़ा पार किया ।
तकरार से ना कभी प्रीति बढ़ी, सदाचार ने प्रेम अपार किया ।।
ना औरो के ह्रदय आहत करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं, इतिहास भी ऐसा ही कहता है ।।
23 comments:
बहुत सुन्दर व भावपूर्ण रचना है।बधाई।
अद्भुत विचार,
अगर मैं गलत नहीं तो कृप्या सद्गुरु-सदगुरु को ठीक करें
"अभिमान ने ज्ञान को नष्ट किया, ना ज्ञानी कभी आभिमानी हुए।"
अति सुन्दर!
अति उत्तम रचना ....भावों से पूर्ण
...अच्छे भाव.
अति उत्तम रचना ....भावों से पूर्ण
margdarshan karti ek bhaavpoorn rachna.
भटको को सच्ची राह दिखा, सद्गुरु ने बेड़ा पार किया ।
तकरार से ना कभी प्रीति बढ़ी, सदाचार ने प्रेम अपार किया ।।
अच्छे विचारों के साथ एक अच्छी कविता।
मेरे विचार से कविता एक समय विशेष की मनोदशा को शब्दों में व्यक्त करना है. यह आप बखू़बी कर रही हैं.सुंदर.
स्नेह से आपना ले गैरो को भी, सच्चे अर्थ में गुणवान वही ।
अनुराग से दूजो का ध्यान धरे, सबसे ऊँचा तो ज्ञान यही ।।
vaah...
ना औरो के ह्रदय आहात करो,
हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं,
इतिहास भी ऐसा ही कहता है।।
सच्ची बात!
सुन्दर भावाभिव्यक्ति!
ना औरो के ह्रदय आहात करो,
हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं,
इतिहास भी ऐसा ही कहता है।।
sunder sachchi baat,umda rachna.
सुंदर भाव के साथ...बहुत सुंदर कविता....
ना औरो के ह्रदय आहात करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं, इतिहास भी ऐसा ही कहता है ।।
सच्चा सन्देश देती हुई अच्छी रचना..
अपने तो बहुत बढ़िया कविता लिखी.
बढ़िया रचना..पसंद आई.
"सुन्दर रचना..."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
सदाचार का सीख देती अच्छी कविता
सुंदर भाव के साथ,बहुत सुंदर कविता.
"धन्यवाद आपका
..."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
ना औरो के ह्रदय आहत करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
सुन्दर सृजन, श्रेष्ठ अभिव्यक्ति ।
ना औरो के ह्रदय आहत करो, हृदय में ही ईश्वर रहता है ।
यह निज मस्तिष्क के बोल नहीं, इतिहास भी ऐसा ही कहता है ।।बहुत सुन्दर रचना है और ब्लाग की साज सज्जा से पता चल रहा है कि होली आने वाली है
शुभकामनायें
Big Truth but understand few. the question is what we should do to realize it.
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