Monday, February 8, 2010
याद तुम्हारी आई (गीत)
फिर सज गई शाम सिंदूरी
मैसम ने ली अंगड़ाई
मुझे याद तुम्हारी आई ......
फूलों पर गुन गुनाए भ्रमर
हर कली कली शरमाई
मुझे याद तुम्हारी आई ......
हंस हंसिनी चले रे घर को
चातक का कटा कलेश
चंदा ने भी अम्बर से
कैसी प्रेम सुधा बरसाई
मुझे याद तुम्हारी आई ....
राह तकत तट थकी राधिका
देखो जमुनाजी लहराई
कोई तान मधुर, तुम छेड़ मनोहर
आजाओ कृष्ण कन्हाई
मुझे याद तुम्हारी आई.....
प्रीत का रोग भी अजब अनोखा
हर आहट दिल को देती धोखा
फूल कदम के चुन चुन कर
देखो सुन्दर सेज सजाई
मुझे याद तुम्हारी आई ......
फिर सज गई शाम सिंदूरी
मौसम ने ली अंगडाई
मुझे याद तुम्हारी आई ...
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28 comments:
सुन्दर गीत!
geet sundar laga..!!
kya baat hai aaj to dono hi logon ne sundar chitra aur kavita dale hain.... :)
dono shayad Radha ji hi hain..
sanyog ki aaj meri post bhi sath me prakashit hui..
बहुत सुन्दर गीत
चित्र बोलती हुई सी
Sundar !!
प्रीत का रोग भी अजब अनोखा
हर आहट दिल को देती धोखा.nice
ब्यौरा आपने गीत में दिल का दिया
ब्यौरा उनका क्यों है जी छिपा लिया
गीत में भेद प्रीत का भी खोल दें
भीतर का मन जीत का भी बोल दें
याद जिनकी आती है
मन को मदमाती है
उनका भेद अब भेद कहा
वो है जहा मै भी हू वहा
दिल को जो मदमाते है
वो तो नाम मे भी समाते है ..
प्रेम-दिवस के आगमन पर आपने सुन्दर रचना प्रस्तुत की है!
"गीत गाते रहो, गुनगुनाते रहो,
एक दिन मीत संसार हो जायेगा।
चमचमाते रहो, जगमगाते रहो,
एक दिन प्रीत उपहार हो जायेगा।।
जीतनी जंग है जिन्दगी की अगर,
पार करनी पड़ेगी, कठिन सी डगर,
पथ सजाते रहो, आते-जाते रहो,
एक दिन राह को प्यार हो जायेगा।।
स्वप्न सुख के बुनों, खार को मत चुनो,
कुछ स्वयं भी कहो, कुछ उन्हें भी सुनो,
मुस्कुराते रहो, सबको भाते रहो,
एक दिन सुख का अम्बार हो जायेगा।।
भूल करना नही, दिल दुखाना नही,
साथ देना, कभी दूर जाना नही,
सुर मिलाते रहो, सिर हिलाते रहो,
एक दिन उनको एतबार हो जायेगा।"
http://uchcharan.blogspot.com/2009/02/0_20.html
सुन्दर गीत है, मन को छूता हुआ ।
बहुत सुन्दर गीत, बधाई आपको।
फिर सज गई शाम सिंदूरी
मौसम ने ली अंगडाई
मुझे याद तुम्हारी आई ...
बहुत सुंदर पंक्तियों में पिरोई गई........ एक बहुत ही सुंदर रचना....
प्रीत का रोग भी अजब अनोखा
हर आहट दिल को देती धोखा
फूल कदम के चुन चुन कर
देखो सुन्दर सेज सजाई
मुझे याद तुम्हारी आई .....
प्रेम -विरह की सुन्दर अभिवयक्ति है। बहुत अच्छी लगी रचना शुभकामनायें
jb jb yad tumhe hai aai
mn ki kli kli muskai
dil ki dil hi rhne do
is me bsti hai shahnai
jb bhi is ka rag sunega
kudrt se hogi rusvai
dr.vedvyathit@gmail.com
आज किन्ही लोगों ने मेरा मंगलवार का ब्लॉग व्रत तुडवा दिया ,इसकी दोषी यह रचना भी है .
बहुत सुन्दर रचना शिल्प अभिव्यक्ति और भावनाओं की उदात्तता सभी दृष्टि से ...बधायी !
sundar git sundar bhaw.
manbhawan rachna.
kitna madhur, bhaavpurna, manbhavan geet..ati sundar..
बहुत सुंदर पंक्तियों में पिरोई गई........ एक बहुत ही सुंदर रचना....
MAAF KIJIYEGA KAI DINO SE JYADA BUSY THA...
मुझे याद तुम्हारी आई ......
सुन्दर-बहुत सुन्दर!
क्या सच में आप एम बी ए करने के पश्चात् आंग्ल भाषी देश में रहती हुई इतने मीठे गीत लिखती हैं ?
bahut sundar rachna aur aapka blog bhi,bade hi bhav se likha hua geet man ko choota hua apni chhap chhod jata hai
dhanyavaad sundar geet prastut karne ke liye
अति सुंदर है बल्कि मेरे लिए तो आश्चर्य जैसा है इस तरह लिखना । आजकल इस तरह की कविताऍं कम ही लिखी जा रही हैं ।
सुन्दर गीत है। आपकी रचना ने हिन्दी काव्य के उस दौर में भ्रमण करा दिया जिसमें रस होता था। इस दौर में और वो भी गैरहिन्दी देश में इस तरह की रचनायें करना तारीफ की बात है।
सुन्दर मधुर गीत ...!!
वाह...कोमल भावों की अति मोहक अभिव्यक्ति....
बहुत ही सुन्दर मुग्धकारी लगी आपकी यह रचना....आभार.
शानदार गीत
प्रीत का रोग भी अजब अनोखा
हर आहट दिल को देती धोखा
फूल कदम के चुन चुन कर
देखो सुन्दर सेज सजाई
मुझे याद तुम्हारी आई ......
आपकी कविता पढ़ने के बाद...............
जितने फुल चुने थे मैंने
हर पंखुड़ी मुरझाई।
अब तो आओ पिया निर्मोही
मुझे याद तुम्हारी आई।
सावन बीता
फागुन आया
मिलन की आस जगाई
अब तो आओ पिया निर्मोही
मुझे याद तुम्हारी आई।
गुजर गए कितने लम्हें
तेरी यादोें में खोये खोये
मिलती हूं लोगों से हंस कर
दिल हमारा रोये
अब तो आओ पिया निर्मोही
मुझे याद तुम्हारी आई।
होरी में बैरी फगुनाहट
दिल पे छूरी चलाए
अब तो आओ साजन मेरे
यौवन बीता जाये।
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