Wednesday, February 10, 2010
आयो फागनियो (फाग गीत )
रंग रंगीले फूल खिले
पुरवैया ठंडी आए
की आयो फागनियो
की आयो जी फागनियों..
लाल हरी चुनर न ओढू
बस पिली ओढ़नी भाए
रंगादो मोहे फागनियों
की आयो जी फागनियों...
देवरजी जो करे ठिठोरी
सैयाजी की याद सताए
की आयो फागनियों
की आयोजी फागनियो...
संग ननद के फाग मैं खैलू
सासुजी भौवें चड़ाए
की आयो फागनियो
की आयोजी फागनियों...
चौक चोबारे निकलू कैसे
सब भर भर रंग उड़ाए
की आयो फागनियों
की आयोजी फागनियों ....
आम्बी से देखों बाग भर रहे
इमली को मन ललचाए
की आयो फागनियों
की आयोजी फागनियों...
डारे मो पे रंग पियाजी
मोहे प्रीत को रंग बहकाए
की आयो फागनियों
की आयोजी फागनियो़ं
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24 comments:
lagne laga hai ki holi aa gayi..
chitra achchhe dhoondh ke laayin aap
Jai Hind...
आ गया जी फागुन!! बेहतरीन!
डारे मो पे रंग पियाजी
मोहे प्रीत को रंग बहकाए
फागुन की बात ही निराली होती है.
चित्र तो लाजवाब है
फगुनी रंगों से रंगी इस बसन्ती रचना के लिए
आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
रानी विशाल जी!
अपकी रचना पढ़कर मुझे अपना यह पुराना गीत याद आ गया-
गली-गाँव में धूम मची है,
फागों और फुहारों की।।
मन में रंग-तरंग सजी है,
होली के हुलियारों की।।
गेहूँ पर छा गयीं बालियाँ,
नूतन रंग में रंगीं डालियाँ,
गूँज सुनाई देती हमको,
बम-भोले के नारों की।।
पवन बसन्ती मन-भावन है,
मुदित हो रहा सबका मन है,
चहल-पहल फिर से लौटी है,
घर-आँगन, बाजारों की।।
जंगल की चूनर धानी है,
कोयल की मीठी बानी है,
परिवेशों में सुन्दरता है,
दुल्हिन के श्रंगारों की।।
होली लेकर, फागुन आया,
मीठी-हँसी, ठिठोली लाया,
सावन जैसी झड़ी लगी है,
प्रेम-प्रीत, मनुहारों की।।
संग ननद के फाग मैं खैलू.nice
हम तो फ़ागुन में ही खो गये..
मजा आ गया इस फ़ागुन गीत में।
साकार हुआ फागुन यहाँ -उत्कृष्ट फागुनी रचना
वाह !! आपकी रचना पढ़ कर तो पूरी तरह होली का अहसास होगया .......बहुत खूब
सर से पाँव तक फागुन ही फागुन - बधाई - हर रंग और रूप में अति सुंदर.
मनमोहक एक चित्र सजा के ,
सबरस कविता है पढवायो,
सुंदर फ़ाग राग छेडो आज,
तन मन है भिगायो ...
आयो जी फ़ागनियो
अजय कुमार झा
फागुन की बात ही निराली होती है.
मजा आ गया इस फ़ागुन गीत में।
बहुत सुन्दर गीत।बधाई।
रंगों में सरोबार नायिका का चित्र बेहद खूबसूरत है। फागणिया की याद दिला दी। बधाई।
Faag baras raha hai blog par aaj .... badhaai is rachna ke liye ...
fagun ka bad hai satik aur sundar shabdo se chitrit kiy ahi aaapne bdahee ho...........
देवरजी जो करे ठिठोरी
सैयाजी की याद सताए
की आयो फागनियों
की आयोजी फागनियो...
NICE
fhagunmayi rachna..aur chitr bahut hi sundar..
badhaii..
रानी विशाल जी आप ने होली के रंगों को लोक शैली में उतार कर रंगों को टटका और चटक कर दिया है . हमारे गावों की संस्कृति लगता है कि इन रंगों में नहा कर नयी नवेली लुल्हन सी फागुन को सरावोर करने चली हो.बहुत जल्दी रंगों की वर्षा करने के लिए आप को हार्दिक बधाई.09818032913
बहुत सुन्दर गीत बधाई
बहुत अच्छा लगा यह फाग गीत।
महाशिवरात्री की ढेर सारी बधाईयाँ. आपको बाबा भोलेनाथ का प्रसाद मिले और आप सासु जी की भौवों की चिंता किए बिना फागुन का मजा ले सकें.
..फागुन के मौसम में ऐसे ही पोस्ट की आवश्यकता है. अच्छा लिखा है आपने.. बधाई.
उत्कृष्ट फागुनी रचना....
wah fagun ke rang aur khil uthe aap ka faguniyo geet aur utna hi mohak rang-raas chitr dekh kar.
...kirti rana/ blog pachmel
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