Monday, February 22, 2010

तुम प्रेम का आधार हो

























प्रिय तुम प्रेम प्रतीक हो
तुम प्रेम का आधार हो
तुम ही तो हो पथ प्रेम का
तुम ही प्रेम का द्वार हो

सर्द सुलगती रातों में
शीतल मृदु अहसास तुम
मधुर स्वप्न हो नयनों के
जटिल जीवन की आस तुम

जलती बुझती चाहों में
तुम एक अमर अभिलाषा हो
घोर निराशा के रुक्ष्ण क्षणों में
तृप्त प्रेम सी आशा हो

लक्ष्य तुम ही हो जीवन का
उस लक्ष्य तक पहुँचती हर राह तुम्ही
तुम ही तनहाई की अकुलाहट हो
प्रणय प्रेम की ठाह तुम्ही

तुम ही इष्ट हो इस साधक के
तुम ही साधना के बाधक हो
विपुल साधना जिसकी मैं
तुम ही तो वो आराधक हो

29 comments:

M VERMA said...

तुम ही इष्ट हो इस साधक के
तुम ही साधना के बाधक हो
विपुल साधना जिसकी मैं
तुम ही तो वो आराधक हो
सुन्दर रचना, शब्द चयन आकर्षक और भाव बेहतरीन हैं

वाणी गीत said...

तुम ही साधना के बाधक और तुम ही आधार भी ...
सुन्दर कविता ...और उससे भी सुन्दर ब्लॉग हेडर ...

मनोज कुमार said...

आप की इस कविता में विचार, अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषण के अनेक नूतन क्षितिज उद्घाटित हो रहे हैं।

Udan Tashtari said...

बहुत अच्छा बाँधा है गीत को..बधाई.

Mithilesh dubey said...

बहुत ही बेहतरीन कविता लगी दीदी । बधाई आपको

Yogesh Verma Swapn said...

तुम ही इष्ट हो इस साधक के
तुम ही साधना के बाधक हो
विपुल साधना जिसकी मैं
तुम ही तो वो आराधक हो

bahut umda geet.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

लक्ष्य तुम ही हो जीवन का
उस लक्ष्य तक पहुचती हर राह तुम्ही
तुम ही तनहाई की अकुलाहट हो
प्रणय प्रेम की ठाह तुम्ही

वासन्ती मौसम में रस घोलती
सुन्दर रचना !

"अब छेड़ो कोई नया राग,
अब गाओ कोई गीत नया।
सुलगाओ कोई नयी आग,
लाओ कोई संगीत नया।

टूटी सी पतवार निशानी रह जायेगी,
दरिया की मानिन्द जवानी बह जायेगी,
फागुन में खेलो नया फाग,
अब गाओ कोई गीत नया।
सुलगाओ कोई नयी आग,
लाओ कोई संगीत नया।।"

विवेक रस्तोगी said...

फ़ागुन में पिया का गीत, वाह बहुत अच्छा लगा

डॉ. मनोज मिश्र said...

प्रेम ही प्रेम,वाह क्या कहनें.

Unknown said...

सुन्दर रचना!

शब्द चातुर्य के संग भावाभिव्यक्ति!

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही बेहतरीन कविता लगी दीदी । बधाई आपको

Dev said...

प्रेम भरी बाल्टी ...से छलकता प्रेम रंग .......अति सुंदर रचना

संजय भास्‍कर said...

वाह ....दीदी जी गज़ब का लिखतीं हैं आप .......!!

ताऊ रामपुरिया said...

सर्द सुलगती रातों में
शीतल मृदु अहसास तुम
मधुर स्वप्न हो नयनों के
जटिल जीवन की आस तुम


बेहद सुंदरतम. शुभकामनाएं.

रामराम.

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) said...

लक्ष्य तुम ही हो जीवन का
उस लक्ष्य तक पहुँचती हर राह तुम्ही
तुम ही तनहाई की अकुलाहट हो
प्रणय प्रेम की ठाह तुम्ही...

सुंदर गूंथे हुए शब्दों में.... सुंदर रचना..

PadmSingh said...

वाह .... बहुत सुंदर रचना

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

प्रेमभाव से सराबोर सुन्दर रचना....भक्ति रस का समावेश....शब्द संयोजन बेहतरीन ...मन आनंदित हुआ...

Amitraghat said...

"सुन्दर भावाभिव्यक्ति..धन्यवाद आपका
..."
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com

Pushpendra Singh "Pushp" said...

बहुर सुन्दर रचना

आभार

kshama said...

तुम ही इष्ट हो इस साधक के
तुम ही साधना के बाधक हो
विपुल साधना जिसकी मैं
तुम ही तो वो आराधक हो
Behad sundar alfaaz!

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

लक्ष्य तुम ही हो जीवन का
उस लक्ष्य तक पहुँचती हर राह तुम्ही
तुम ही तनहाई की अकुलाहट हो
प्रणय प्रेम की ठाह तुम्ही

तुम ही इष्ट हो इस साधक के
तुम ही साधना के बाधक हो
विपुल साधना जिसकी मैं
तुम ही तो वो आराधक हो

अति सुन्दर...

Akhilesh pal blog said...

tum prem ka aadar ho bahoot hee achha atee sundar

RADHIKA said...

बहुत ही सुंदर रचना, सुंदर शब्द संयोजन और गीतात्मक छंद ,बधाई ,

kavi kulwant said...

प्रिय तुम प्रेम प्रतीक हो
तुम प्रेम का आधार हो
तुम ही तो हो पथ प्रेम का
तुम ही प्रेम का द्वार हो
bahut sundar geet...

स्वप्न मञ्जूषा said...

bahut hi sundar prem geet likha hai raani tumne..
thodi vyast zaroor thi main isliye nahi aa paayi..
bas mauka nikaal kar kuch posts par comment kar rahi thi..
sundar kavita ke liye badhai..

राजीव तनेजा said...

सधे शब्दों में लिखी गई सुन्दर रचना

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

रानी विशाल साहिबा, आदाब
लक्ष्य तुम ही हो जीवन का
उस लक्ष्य तक पहुँचती हर राह तुम्ही
तुम ही तनहाई की अकुलाहट हो
प्रणय प्रेम की ठाह तुम्ही

बहुत सटीक और गरिमामयी शब्दों के चयन से सजी रचना...
बधाई.

Unknown said...

सर्द सुलगती रातों में
शीतल मृदु अहसास तुम
मधुर स्वप्न हो नयनों के
जटिल जीवन की आस तुम............!!!
सुन्दर रचना बधाई......!!!

Unknown said...

सर्द सुलगती रातों में
शीतल मृदु अहसास तुम
मधुर स्वप्न हो नयनों के
जटिल जीवन की आस तुम............!!!
सुन्दर रचना बधाई......!!!