कल रात फिर ख़्वाबो में
यू हो गया
उनसे सामना
बेकरार हो मचल उठे
मुश्किल था
दिल को थामना
कोमल लबों पर
ठहरे हुए से
कुछ भीगे शब्द
अब भी थे वही....
आँखों में आँखें डाल कर
अरमानो को उढ़ेलाना
भावनाओं का आवेग
फिर से अहसास
बुदबुदाने लगा..
पलकों की आड़ से हुए
नज़रो के मीठे प्रहार
ह्रदय के पार हुए......
सहसा !
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए !!!
यू हो गया
उनसे सामना
बेकरार हो मचल उठे
मुश्किल था
दिल को थामना
कोमल लबों पर
ठहरे हुए से
कुछ भीगे शब्द
अब भी थे वही....
आँखों में आँखें डाल कर
अरमानो को उढ़ेलाना
भावनाओं का आवेग
फिर से अहसास
बुदबुदाने लगा..
पलकों की आड़ से हुए
नज़रो के मीठे प्रहार
ह्रदय के पार हुए......
सहसा !
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए !!!
27 comments:
apka priyash bahot sarahniya hai. in poems ko prakashan ke liyai jarur bhaji. Hindi literature magazine ke short rivew padhni ke liyai padhari.
http://katha-chakra.blogspot.com
Akhilesh shukla
पलकों की आड़ से हुए
नज़रो के मीठे प्रहार
ह्रदय के पार हुए.....
बहुत बढि्या-आभार
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए !!!
संवेदनशील रचना।
रहिमन चुप है बैठिए देखि दिनन के फेर ।
जब नीके दिन आईहैं बनत न लगिहैं बेर ।
कल रात फिर ख़्वाबो में
यू हो गया
उनसे सामना
बेकरार हो मचल उठे
मुश्किल था
दिल को थामना
बहुत नायाब अभिव्यक्ति, शुभकामनाएं.
रामराम.
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए .....
वाह,गजब की अनुभूति.
पलकों की आड़ से हुए
नज़रो के मीठे प्रहार
ह्रदय के पार हुए...
सुन्दर अभिव्यक्ति
कोमल लबों पर
ठहरे हुए से
कुछ भीगे शब्द
अब भी थे वही....
आँखों में आँखें डाल कर
अरमानो को उढ़ेलाना
भावनाओं का आवेग
फिर से अहसास
बुदबुदाने लगा..
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
दुःख की बदली छँटी,
सूरज उगा विश्वास का,
जल रहा दीपक दिलों मे,
स्नेह ले उल्लास का,
ज्वर चढ़ा, पारा बढ़ा है
प्यार के संसार पर।
दे रहा मधुमास दस्तक
है हृदय के द्वार पर।।
क्या बात है , बहुत ही लाजवाब कविता लगी ।
वाह सामना होने को बेहतरीन तरीके से अभिव्यक्त किया है।
aur swapn toot gaya.
behatareen abhivyakti.
लाजवाब प्रस्तुति .......
सहसा !
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए !
.......ख्वाब तो ख्वाब हैं
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए .....
बहुत सुन्दर भावमय कविता है । शुभकामनायें
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए !!!
-बहुत उम्दा!
A fantastic creation Ma'am...
The start of the poetry is just fantastic...
अनुभूतियों के
दूजे छोर पर
खड़े हम
हारे हुए से रह गए !!!
काश ये अनुभूति कवाब में ना हो कर हकीकत में होती तो यूँ हारे हुए से ना रहते....
सुन्दर भावाभिव्यक्ति
रानी विशाल साहिबा, आदाब
कोमल लबों पर.....ठहरे हुए से
कुछ भीगे शब्द......अनुभूतियों के
दूजे छोर पर......खड़े हम.....हारे हुए से रह गए.....
आपकी हर प्रस्तुति पर क्या कहें.
बहुत सुन्दर....लाजवाब....बधाई
बहुत सुंदर व कोमल अनुभूतियों की सक्षम प्रस्तुति.
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति!
हर रंग को आपने बहुत ही सुन्दर शब्दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्तुति ।
kya kahen....so sweet...
क्या कहूँ..... अब...बहत सुंदर कविता है.... प्रेम की अभिव्यक्ति को बहुत ही खूबसूरती से संवारा है...आपने.... दिल को छू गई ....
सुन्दर शब्दों में सुन्दर रचना ।
कोमल अहसास लिए हुए।
bahut hi sundar abhivyakti ...
kavita lajwaab bani hai..
badhai..
कुछ भीगे शब्द
अब भी थे वही....
बहुत सुन्दर ...!
फागुनी अनुभूति की सुन्दर कविता
अनुभूतियों के
दूजे छोर पे
हम
भींगे से
खड़े रह गए.
....................................प्यारी कविता है
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