रंग गुलाल सब बाज़ारों में
ख़ुशबू से महकती गलियां
चौपाटी की चहल पहल
खिल उठी वसंत में कलियाँ
नुक्कड़ पर यारों का जमघट
छेड़ छाड़ मस्ती का दौर
हर्षित मन हर जगह
खेले पिचकारी बच्चे सब ओर
सतरंगी सजी वसुंधरा
पक्षियों का मृदु ऋतु गान
महुए की मदमाती सुगंध
फ़ाग गीतों की मधुर तान
मंडलियों की हँसी ठहाक
गपशप की हुल्लड़ भंग छाक
देख लेते है....... यादों में अपनी
होली का ये रंगीन नज़ारा
यादों के रंग में भीग कर
यादों से ही बतीया लेते है
दूर विदेश में बैठे हुए हम
यादों के रंग से नहा लेते है
इस तरह वतन को याद कर
हम भी होली मना लेते है !!
ख़ुशबू से महकती गलियां
चौपाटी की चहल पहल
खिल उठी वसंत में कलियाँ
नुक्कड़ पर यारों का जमघट
छेड़ छाड़ मस्ती का दौर
हर्षित मन हर जगह
खेले पिचकारी बच्चे सब ओर
सतरंगी सजी वसुंधरा
पक्षियों का मृदु ऋतु गान
महुए की मदमाती सुगंध
फ़ाग गीतों की मधुर तान
मंडलियों की हँसी ठहाक
गपशप की हुल्लड़ भंग छाक
देख लेते है....... यादों में अपनी
होली का ये रंगीन नज़ारा
यादों के रंग में भीग कर
यादों से ही बतीया लेते है
दूर विदेश में बैठे हुए हम
यादों के रंग से नहा लेते है
इस तरह वतन को याद कर
हम भी होली मना लेते है !!
32 comments:
सरलता और सहजता का अद्भुत सम्मिश्रण बरबस मन को आकृष्ट करता है। होली है।
चलिये...ऐसे ही होली मना लेते हैं..हम भी उसी नाव में हैं..
ham bhi ..usi naao mein baithe hai aur dar rahe hain...sameer ji...naao safe hai na :):)
ha ha ha ..
bura na maano holi hai...!!!
महुए की मदमाती सुगंध
फ़ाग गीतों की मधुर तान
मंडलियों की हँसी ठहाक
गपशप की हुल्लड़ भंग छाक
देख लेते है....... यादों में अपनी..
खूबसूरत चित्रण,मन के भाव बखूबी व्यक्त हैं हर लाइनों में.
सतरंगी सजी वसुंधरा
पक्षियों का मृदु ऋतु गान
महुए की मदमाती सुगंध
फ़ाग गीतों की मधुर तान
प्रकृति का सुन्दर चित्रण!
होली का हुड़दंग मचा है,
गाँव-गली, घर-द्वारों में।
धर सोलह सिंगार धरा ने,
अनुपम छटा बिखेरी है,
खेत, बाग, वन-मन-उपवन,
छाये हैं मस्त बहारों में।
अरे वाह दीदी , बहुत खूब , बहुत ही लाजवाब प्रस्तुति रही आजकी , बधाई ।
खूब दिलाया परदेशी बन होली की यह याद।
सतरंगी होली बन जाए नहीं शेष अवसाद।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
होली पर बेहतरीन रचना ........बहुत खूब
इस तरह वतन को याद कर
हम भी होली मना लेते है .nice
सुन्दर...समयानुकूल रचना...
कुछ पाने के लिए कुछ तो खोना ही पड़ता है
यादों के रंग में भीग कर
यादों से ही बतीया लेते है
दूर विदेश में बैठे हुए हम
यादों के रंग से नहा लेते है
सच , विदेश में रहकर होली का नज़ारा तो मिस करते होंगे।
होली के विभिन्न रंगों का बखूबी वर्णन किया है आपने।
यादों के रंग में भीग कर
यादों से ही बतीया लेते है
दूर विदेश में बैठे हुए हम
यादों के रंग से नहा लेते है
बहुत सही वर्णन किया, होली की शुभकामनाएं.
रामराम.
prakrati ke chitran se rangi holi ki mast rachna.
"सुन्दर भावाभिव्यक्ति......"
प्रणव सक्सैना amitraghat.blogspot.com
अरे भला आप ऐसे ही होली क्यों मनाएंगी? हम यहाँ से प्यार का रंग भेज रहे हैं, हमेशा आप गुलाब की तरह दिखेगी। होली की राम राम।
यादों के रंग में भीग कर
यादों से ही बतीया लेते है
दूर विदेश में बैठे हुए हम
यादों के रंग से नहा लेते है
इस तरह वतन को याद कर
हम भी होली मना लेते है !!
इन पंक्तियों ने दिल को छू लिया....सुंदर कविता....
होली की शुभकामनाओं सहित....
बहुत सही वर्णन किया, होली की शुभकामनाएं.
Holi ke pahle hi hum to is kavita rupee rang virange shabdo se sarabour ho gaye.Adbhut rachna...
VIKAS PANDEY
www.vicharokadarpan.blogspot.com
अच्छी लगी कविता ,
होली की ढेर सारी रंगीन शुभ कामनाएं
यादों के रंग में भीग कर
यादों से ही बतीया लेते है
दूर विदेश में बैठे हुए हम
यादों के रंग से नहा लेते है
इस तरह वतन को याद कर
हम भी होली मना लेते है ..
वतन की याद करा दी आपने ... सुंदर रचना है ... होली की बहुत बहुत बधाई ........
आप तो वतन से दूर हैं...पर हम यहाँ शहरों में भी बस ऐसे ही होली मना लेते हैं....सब अनजान से ही लगते हैं....
भावों की प्रस्तुति बहुत सुन्दर है....
होली की शुभकामनायें
सतरंगी सजी वसुंधरा
पक्षियों का मृदु ऋतु गान
महुए की मदमाती सुगंध
फ़ाग गीतों की मधुर तान
.......लाजवाब प्रस्तुति .
krantidut.blogspot.com
यादों के रंग में भीग कर
यादों से ही बतीया लेते है
दूर विदेश में बैठे हुए हम
यादों के रंग से नहा लेते है
इस तरह वतन को याद कर
हम भी होली मना लेते है !!
वाह क्या बात कही है । अपने देश जैसे तीज तौहार विदेश मे कहाँ मेरे बच्चे भी ऐसे ही सोच रहे होंगे। शुभकामनायें होली की मुबारकवाद।
बहुत ही सुन्दर शब्द रचना ।
सुन्दर भावों से भरी रंगमय होली रचना.. उत्तम अभिव्यक्ति...बधाई.
_______________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".
इस तरह वतन को याद कर
हम भी होली मना लेते है !!sunder abhivkti..badhayee aapko..
बहुत अच्छी रचना ।रामेश्वर काम्बोज हिमांशु
होली के रंगों की याद कविता में इस कदर जिन्दा हुई है कि तन मन होली के अहसासों में सरावोर होगया है .रानी जी इस काव्य संवेदना के लिए हार्दिक बधाई.
सुन्दर,अतिसुन्दर ।आपको भी होली पर हार्दिक शुभकामनाएं।
वतन की याद और होली -भावनाओं से सराबोर मन
आपने उस युग की याद दिला दी जब कविता की लय मन पर छा जाती थी, कविता की एक अलग ही छटा, एक अलग ही शब्दावली होती थी। मैं उस दौर की बात कर रहा हूँ जब मैं पढ़ता था स्कूल में यानि 60 का दशक।
भावों की बहुत अच्छी लयात्मक प्रस्तुति।
आनंद आ गया।
बधाई।
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