तुमसे मिली है नज़रे जब से, मैं तो दिवानी हो गई
बस इक तुम हो अब अपनों में,सारी दुनिया बेगानी हो गई
इश्क में जो आहें भरते है, हम अक्सर उन पर हसते थे
तेरे इश्क में अपनी भी, उनके ही जैसी कहानी हो गई
बिन तेरे हर इक मंज़र मुझको, सूना सूना लगता है
तनहाई और बेचैनी ही, मेरी निशानी हो गई
लैला मजनू के किस्सों के, कभी हम भी लतीफे लेते थे
प्यार में तेरे डूबे जबसे, बदनाम जवानी हो गई
याद में तेरी खोई हुई मैं, बहकी बहकी सी रहती हूँ
तौबा करते है अब मुझसे, जो कहते थे सयानी हो गई
यार खुदा मेरा इश्क ही पूजा, बस उसकी इबादत करती हूँ
हर आदत अब उसकी मुझको, याद ज़ुबानीहो गई
25 comments:
khoobsurat ahsaas se labrez...
padhne mein lay lagi..accha laga padhna..
wah.. badhiya prastuti.... yahan bhi falgun chhaa gaya.. :)
बिन तेरे हर इक मंज़र मुझको, सूना सूना लगता है
तनहाई और बेचैनी ही, मेरी निशानी हो गई
-बहुत खूब कहा!
आप और अदा जी जुड़वां है क्या ?
सब कुछ वैसा वैसा ही है -
आप कवितायें और वे भी कवितायेँ (लिखती हैं )
आप भी गजल वे भी गजल (लिखती हैं )
अप भी सुन्दर चित्रों को पसंद करती हैं और ब्लॉग में लगाती हैं और वे भी
(न जाने कहाँ से पाती हैं !)
आप भी काव्य मञ्जूषा(अब नाम बदलने से क्या होता है ) हैं और वे तो पहले से ही भरी पूरी काव्य मंजूषा थीं/हैं
आप भी विदेश में वे भी विदेश में हैं .
कितनी समानताएं -क्या महज संयोग ??
अगर जुड़वाँ नहीं तो बहने तो हैं ही -कुम्भ के किस वर्ष में साथ छूटा था ?
अरे हाँ गजल वाकई सहज और सरल है और बिना प्रयास समझ में आ गयी -शाबाश !
बिन तेरे हर इक मंज़र मुझको, सूना सूना लगता है
तनहाई और बेचैनी ही, मेरी निशानी हो गई
सुन्दर भाव के साथ वासंती रंग भी - वाह।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
यार खुदा मेरा इश्क ही पूजा, बस उसकी इबादत करती हूँ
हर आदत अब उसकी मुझको, याद ज़ुबानीहो गई
बहुत लाजवाब.
रामराम.
रचना की हर लाइन बेमिसाल ..
प्रेम रस में डूबी ये रचना ......बहुत बढ़िया .
यार खुदा मेरा इश्क ही पूजा, बस उसकी इबादत करती हूँ
हर आदत अब उसकी मुझको, याद ज़ुबानीहो गई
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
यार खुदा मेरा इश्क ही पूजा, बस उसकी इबादत करती हूँ
हर आदत अब उसकी मुझको, याद ज़ुबानीहो गई
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
सुन्दर रचना...बधाई...
सरस सहज सुन्दर भावपूर्ण मनमोहक अभिव्यक्ति....
बहुत ही सुन्दर रचना...वाह !!!
याद में तेरी खोई हुई मैं, बहकी बहकी सी रहती हूँ
तौबा करते है अब मुझसे, जो कहते थे सयानी हो गई...
बहुत खूबसूरत एहसास के साथ.... सुंदर कविता....
यार खुदा मेरा इश्क ही पूजा,
बस उसकी इबादत करती हूँ
हर आदत अब उसकी मुझको,
याद ज़ुबानीहो गई....
शब्दों को आपने बहुत खूबसूरती से गीत की माला में पिरोया है!
बधाई!
अति उत्तम ब्लाग पसंद आया
रचना भी अति उत्तम है
अति उत्तम ब्लाग पसंद आया
रचना भी अति उत्तम है
वाह....मीरा जैसा समर्पण-भाव. सुन्दर है.
ati sundar
इश्क कीजे सरे आम खुल कर कीजे
भला पूजा भी कोई छिप छिप के किया करता है
so nice ..
याद में तेरी खोई हुई मैं, बहकी बहकी सी रहती हूँ
तौबा करते है अब मुझसे, जो कहते थे सयानी हो गई
bahut khoob
इश्क में जो आहें भरते है, हम अक्सर उन पर हसते थे
तेरे इश्क में अपनी भी, उनके ही जैसी कहानी हो गई
खूबसूरत अहसासों से सजी यह रचना बहुत सुन्दर है
यार खुदा मेरा इश्क ही पूजा, बस उसकी इबादत करती हूँ
हर आदत अब उसकी मुझको, याद ज़ुबानीहो गई
रानी जी, आपकी पूरी गजल बहुत ही खूबसूरती से रची गयी है।पर इन पंक्तियों का भी जवाब नहीं। शुभकामनायें। पूनम
याद में तेरी खोई हुई मैं, बहकी बहकी सी रहती हूँ
तौबा करते है अब मुझसे, जो कहते थे सयानी हो गई
बहुत खूबसूरती से एहसासों को शब्द दिए हैं.....खूबसूरत ग़ज़ल
bahut umda rachna.
रानी जी गहरे अहसास लिए यह ग़ज़ल अच्छी लगी आप को बधाई.
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