पोंगा पंडित बीन बजाते
अंधों की टोली नाच रही
अधर्मी धर्म का पाठ पढ़ाते
वाहजी.. ये भी क्या बात रही
भोग विलास न खुद ने छोड़ा
और त्याग का राग आलाप रहा
कामनाओं के वश में भान नहीं
क्या पुण्य हुआ क्या पाप रहा
माया के जाल में फंसा हुआ खुद
क्या मोह तुम्हे छुड़वाएगा
प्रभुत्व के लोभ फंसा मनुज
क्या प्रेम, त्याग सिखलाएगा
मानवता पहला धर्म मनुष्य का
सदाचार से ऊँचा कर्म नहीं
आँखें खोल अब तो....पहचाने
आडम्बर में कोई मर्म नहीं
क्या मुक्ति का मार्ग बताएगा
भक्ति का जो व्यापार करे
खुद अंत समय पछताएगा
जो परहित का न ध्यान धरे
ना धन से सिद्ध हुए थे बुद्ध
न सद्गुरुओं ने भेंट का मोह किया
सत्य गुरु की पहचान विरक्ति
चित्त तत्वमीमांसा में ही लीन किया
अब तो भले बुरे का भेद समझ
स्वधर्म का हम सन्मान करे
लुटिया इनकी गर्ग करे
पाखंडियों पर न ध्यान धरे..
दुष्कर्म का चहरा साफ हुआ
ना कहने की कुछ बात रही !!!
{आज कल समाचारों में जो पढ़ा सुना उससे मन बड़ा खिन्न हुआ कि धर्म को व्यवसाय बनाने वाले इन शठ लोगो को इस हद्द तक पहुचने देने वाला कौन है ? अगर कम समय में कम प्रयास में ज्यादा प्रतिफल प्राप्त करने कि लालसा हम त्याग दे तो धर्म को व्यापर बनाने वाले इन पाखंडियों कि दुकाने बंद हो जाएगी. ......इन जैसे तुच्छकर्मियों कि वजह से साधुता पर सवाल खड़े होजाते है !!}
29 comments:
sacchi baat..aise ponga panditon se duniya anti padi hai..
acchi yaad dilaayi hai inki.
bahut badhiyaa..
दुष्कर्म का चहरा साफ हुआ
ना कहने की कुछ बात रही !!!
न जाने कितनी बार वही दुहराया गया है
रास्ते के पत्थरों को भगवान बनाया गया है
bilkul sahi hai Rani ji, aise logon ko banakab karna hi chahiye..
शब्द समन्वय संग में अच्छे लगे विचार।
मार्ग मुक्ति का है नहीं अब भक्ति व्यापार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत सटीक रचना...
अधर्मी धर्म का पाठ पढ़ाते ...
सच कहूँ... मुझे इन बाबाओं से ज्यादा गुस्सा और कोफ़्त उन लोगों पर होती है जो पढ़े लिखे होकर भी इन के चंगुल में फंसते हैं ...बेवकूफ बनाने वालों से ज्यादा बेवकूफ बनने वालों की गलती होती है ...
समसामयिक प्रविष्टि ...!!
"सत्य उजागर करती रचना.........."
amitraghat.blogspot.com
.इन जैसे तुच्छकर्मियों कि वजह से साधुता पर सवाल खड़े होजाते है !!}sahi kaha aapne,inhi ki wajah se sabhi sadhuo ko hum galat samjh bethte hain,,achhi rachna.
VIKAS PANDEY
WWW.vicharokadarpan.blogspot.com
स्वधर्म का हम सन्मान करे
लुटिया इनकी गर्ग करे
सही सुझाव -शुक्रिया!
रास्ते के पत्थरों को भगवान बनाया गया है
bahut sundr.
हम भी व्यथित हैं इन बाबाओं की करतूतों से..
अच्छी रचना
bahut achhe
इन नकली बाबाओं का चलन देख कर अब तो चोर-उचक्के ज़्यादा भले लगने लगे हैं...वो कम से कम ढोंग तो नहीं भरते
स्वधर्म का हम सन्मान करे
लुटिया इनकी गर्ग करे
सही सुझाव -शुक्रिया!
बहुत अच्छी ...सार्थक और सामयिक पोस्ट....
धर्म के नाम पर अधार्मिक और असामाजिक कृत्य करने वाले
आम आदमी से कहीं बड़े अपराधी होते हैं.
रचना के माध्यम से व्यक्त आपका चिंतन उचित है.
Although we all are fed up of these BABA's but still they are increasing day by day...
Hats off to you for spreading awareness...
___ Rakesh Verma
बहुत अच्छी कविता।
पोंगा पंडितों और पाखंडियों पर यह काव्यात्मक व्यंग्य है । इस धार को बनाये रखें । मै अपने ब्लॉग "ना जादू ना टोना " में ऐसे ही लोगों पर लिखता हूँ । क्रपया यहाँ भी पधारें http://wwwsharadkokas.blogspot.com
बहुत सटीक बात कही, परंतु मनुष्य के अंदर का लालच जो कि सदियों से अंतर्मन में बैठा है वो इनके जादू से मुक्त नही होने देता.
यह धंधा सदियों से चलता आया है और यूं ही चलता रहेगा. कृपालु महाराज जी की दुकान कहां बंद होने वाली है?:)
रामराम.
बिलकुल सही बात । लेकिन जिम्मेदार कौन ?
हमारी तथाकथित भोली भली बेवक़ूफ़ जनता , जो इंसान कहलाने लायक नहीं , उसी को भगवान् मानकर उसकी पूजा करते हैं। जाने कब अक्ल आएगी।
सही और प्रासंगिक बात कही आपने,एक विचार यहां भी देखें.:
’www.sachmein.blogspot.com'
http://sachmein.blogspot.com/2010/03/blog-post.html
बहुत ही उम्दा रचना!!
सच है इन आडम्बरी,मिथ्याचारी,दुष्कर्मी बाबाओं, पोंगा पंडितों के चलते आज इस युग में धर्म अपनी प्रासंगिकता खोने लगा है.....
स्वधर्म का हम सन्मान करे
लुटिया इनकी गर्ग करे
सही सुझाव ,सुन्दर सार्थक रचना
साधो वचन
bahut sahi aur prasangik kaha hai aapne.aaj kai dharmvyavsai log dharm ko vyapar bana kar apni kamai aur kai goarakh dhandha kar rahe hai. hame aise logon se savdhan rahane ki jarurat hai.
bahoot achha aajkal yahi chal raha hai
अगर समय मिले तो महिला दिवस को समर्पित मेरी आज की कविता अवश्य देखियेगा ...
---- राकेश वर्मा
वाह आज तो मेरे मन की बात कह दी मैने तो कई बार इस मुद्दे पर लिखा है कहानिया और कविता। क्या करें ये बाबा कुकुर्मुत्तों की तरह पैदा होते जा रहे हैं अगर इन पर लगाम ना कसी गयी तो ये देश क्या मानवता के विनाश का कारण बनेंगे। धन्यवाद इस रचना के लिये।
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