Tuesday, March 23, 2010
वो पल.....अब भी मेरे पास है
कांपते हाथों से मेरे
हाथों को लेकर हाथ में
जो चाहते थे कहना तुम
शब्द वो भी बह रहे थे
समय की तरह
आँसुओं के साथ....!!
भीगते जज्बातों का
वो पल.....जब छुपाई थी
अपनी आँखों की नमी
एक दूजे से हमने, जबकि
दोनों उससे अनजान न थे....!!
कँप कपाते होठों से
कहना चाहते थे वो सब कुछ
जो उमड़ आया था
बस एक ही पल में
मगर कह न सके
किन्तु ये भावनाएँ ही तो हैं
जो शब्दों से परे है ....!!
तभी तो जाना था हमने
नजदीकियों की अहमियत को
जब दूरियाँ आने को थी
जब अहसासों के गहरे समंदर में
मचलने लगी थी अरमानों की तरंगें
तब बांधना चाहा था समय को
मुट्ठी में अपनी हम दोनों ही ने
मगर हम ऐसा कर न सके .....!!
भीगे अहसासों के
उस एक पल ने की थी
जन्मो के अनुपम अद्भुत
अमृत प्रेम की वर्षा हम पर
उस पल जान लिया था हमने
दूरियाँ न कर सकेंगी दूर हमको
न रोक पाएगी ये भौतिक सीमाएँ
हमें पहुचने से एक दूजे तक ....!!
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास हैं .......!!
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35 comments:
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास है .......!!
इन पंक्तियों ने दिल छू लिया... बहुत सुंदर ....रचना....
ग़ज़ब की कविता ... कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है
दूरियाँ न कर सकेंगी दूर हमको
न रोक पाएगी ये भौतीक सीमाएँ
हमें पहुचने से एक दूजे तक ....!!
अच्छी प्रस्तुति-आभार
कृपया भौतीक को भौतिक कर लें,
रामनवमी पर्व की शुभकामनाएं।
Aadarniya lalitji , dhyaan dilane ke liye bahut bahut dhanywaad.
प्रेम से ओत-प्रोत कविता..
सुन्दर अहसास करा गई है..
शुक्रिया..
बहुत सुंदर कविता। आपकी कविता पसंद आई।
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास है .......!!
रूहानी एहसासो को और क्या चाहिये
सुन्दर रूहानी रचना
बहुत सुन्दर
बहुत सुंदर भाव लिये हुये. रामनवमी की घणी रामराम.
रामराम.
कांपते हाथों से मेरे
हाथों को लेकर हाथ में
जो चाहते थे कहना तुम
शब्द वो भी बह रहे थे
समय की तरह
आँसूओं के साथ....!!
बहुत ही खूबसूरत और मार्मिक भावाभिव्यक्ति!
रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाये !
सुन्दर भावों से सजी ये रचना ....बहुत खूब
जन्मो के अनुपम अद्भुत
अमृत प्रेम की वर्षा हम पर
उस पल जान लिया था हमने
दूरियाँ न कर सकेंगी दूर हमको
न रोक पाएगी ये भौतिक सीमाएँ
हमें पहुचने से एक दूजे तक ....!!
अनुपम काव्य
आँसूओ - आँसुओं
कप - कँप
होंठो - होठों
भावनाए - भावनाएँ
है - हैं
... अब बाकी स्वयं देख लीजिए :)
@भीगते जज्बातों का
वो पल.....जब छुपाई थी
अपनी आँखों की नमी
एक दूजे से हमने, जबकि
दोनों उससे अनजान न थे....!!
और शब्दों का बहाव समय की तरह आँसुओं के साथ !
क़ुरबान गए इस अभिव्यक्ति पर। आज एक नया ब्लॉग देखा http://hemantrathore.blogspot.com/ तो वहाँ भी कुछ ऐसे ही भाव ...
bahut bahut dhanywaad girijesh ji,
aapka yah niyamit sanidhya mere lekhan ko nisandeh nikhar raha hai hai balki nipun kar kar hi chodega.
dhanywaad.
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास है .......!!
खूबसूरत एहसासों को बयां करती .......... बेहद खूबसूरत रचना।
prem ke ehsason se bhari khubsurat rachna.
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास हैं .......!!
इन शब्दों में जो गहराई है...क्या कहें ,बधाई ,सृजन हेतु.
प्रेम ही प्रेम. बहुत सुंदर. यही जीवन का स्थाई भाव है वाक़ी का क्या है बाक़ी सब तो चलायमान है.
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास हैं .......!!
खूबसूरत अहसास लिए बढ़िया रचना।
भीगे भीगे से एहसासों से भरी बहुत प्यारी रचना..
शब्द वो भी बह रहे थे
समय की तरह
आँसुओं के साथ....!!
बहुत संवेदनशील पंक्तियाँ
किन्तु ये भावनाएँ ही तो हैं
जो शब्दों से परे है ....!!
खूबसूरत एहसास
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास हैं .......!!
बहुत खूब....पूरी नज़्म दिल को छू गयी...बधाई
भीगे अहसासों के
उस एक पल ने की थी
जन्मो के अनुपम अद्भुत
अमृत प्रेम की वर्षा हम पर
उस पल जान लिया था हमने
दूरियाँ न कर सकेंगी दूर हमको
न रोक पाएगी ये भौतिक सीमाएँ
हमें पहुचने से एक दूजे तक ....!!
रामनवमी की शुभकामनायें!
शब्द वो भी बह रहे थे....समय की तरह....आँसुओं के साथ...
क्या खूबसूरत अलफ़ाज़ हैं, एकदम गहराई के भाव लिये......
पूरी कविता शानदार.
मुबारकबाद
कांपते हाथों से मेरे
हाथों को लेकर हाथ में
जो चाहते थे कहना तुम
शब्द वो भी बह रहे थे
समय की तरह
आँसुओं के साथ....!!
kya kahun? Stabdh hun..
Ramnavmiki anek shubhechhayen!
बहुत बढ़िया कविता है...पसंद आई.
सुन्दर प्रेम कविता । कुछ और नये बिम्बों को लेकर रचना कीजिये ।
भीगते जज्बातों का वह पल जब छुपाई थी आँख की नमी ...
अभी तो रश्मि की पोस्ट से छाई गहरी उदासी से उबरी ही नहीं ...और ये ...
मगर प्रेम भरी स्मृति में अब भी मेरे पास है ....
स्मृतियाँ यूँ ही बनी रहे .. पल गुजर जाते हैं ...स्मृतियाँ रह जाती हैं ...हर पल को यूँ मना ले कि स्मृति बन जाए ...पल के दूर जाने का अफ़सोस ही ना रहे ...
बहुत सुन्दर रचना ....!!
इन प्रेम के पलों को हमेशा अपने पास रखिए। जिन्दगी में यह ही काम आएंगे। बढिया अभिव्यक्ति।
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास हैं .....!!
बहुत सुन्दर रचना...मनभावन
वो रूहानी अहसासों का पल
प्रेमभरी स्मृति में मेरी
अब भी मेरे पास हैं .......!
......वाह....वाह.....
....................
पढ़ें मेरे ब्लॉग पर.......
.......
सुबह जब तैयार होती है बीबी,
मुझे नाश्ता कराने के लिए,
तो मन करता है,
बिंदी लगाने के पहले उसका माथा चूम लूं,
और बिंदी लगाने के बाद उसकी बिंदी.
.....पूरा पढ़ें..
http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_3507.html
Loving emotions , good job
अब ब्लॉग जगत और उसके लिखारियों की शक्ति को कोई नहीं नकार सकता। आपकी कविताएं किताबों में दर्ज कविताओं से कहीं बेहतर हैं। अद्भुत है।
aise ruhani ehsaaso ko yado ka paani dete rahiye...fir chaahe kitni bhi bhautik simaye aaye...koi fark nahi padta. achhi rachna.badhayi.
Komal bhavanaon kee sundar aur sashakt prastuti....hardik badhai.
ये रूमानी कविता रूहानी प्रेम को दर्शा रही है रानी जी.. ख़ुशी हुई पढ़कर..
मगर क्या करें.. 'प्यार से भी जरूरी कई काम हैं.. प्यार सबकुछ ज़िन्दगी के लिए...'
दूरियाँ न कर सकेंगी दूर हमको
न रोक पाएगी ये भौतिक सीमाएँ
हमें पहुचने से एक दूजे तक ....!!
क्या बात है !
बहुत खूब लिखती है आप।
अभिनंदन
....अरविंद
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