मौसम के साथ चलिये कि लड़ना फ़िज़ूल है
तब्दीलियां तो वक़्त का पहला उसूल है..
इंसां नहीं कोई भी मुकम्मल जहान में
लेकिन नज़र में और की खामी है भूल है
तारीख में मिलेंगे न उनके निशान तक....
जिनको न साथ वक्त के चलना कबूल है.....
कश्ती का नाखुदा भी हुआ कितना बदगुमान
खुद को खुदा समझता है ये कैसी भूल है
शोहरत की दौड़ में ये जहां है, हुआ करे
"रानी" सुकूं है दिल को, तो सब कुछ फ़िज़ूल है
32 comments:
अच्छे शब्दों और प्रासंगिक भावनाओं के साथ एक अच्छी कविता.... प्रशंसनीय..
बहुत अच्छी कविता.... प्रशंसनीय...नवरात्र पर्व की हार्दिक शुभकामनाये ...
तब्दीलियां तो वक़्त का पहला उसूल है..
वक्त की नब्ज आपने पकड़ ली.
बहुत सुन्दर
bahut hi accha likha hai...aaj ke sandarbh mein sahi aur sateek..
तारीख में मिलेंगे न उनके निशान तक....
जिनको न साथ वक्त के चलना कबूल है.....
har ek lyne behtareen sundar kavita..badhai
इंसां नहीं कोई भी मुकम्मल जहान में
लेकिन नज़र में और की खामी है भूल है..
बहुत सुंदर.
सुन्दर और सकारात्मक -शुक्रिया !
शोहरत की दौड़ में ये जहां है, हुआ करे
"रानी" सुकूं है दिल को, तो सब कुछ फ़िज़ूल है
bahut khoob. sabhi sher behatareen.
बहुत लाजवाब ...लिखा आपने ..
अच्छी कविता..आप को नववर्ष की बहुत बहुत शुभकामनाएं !!
मौसम के साथ चलिये कि लड़ना फ़िज़ूल है
तब्दीलियां तो वक़्त का पहला उसूल है..
vaah!
तब्दीलियां तो वक़्त का पहला उसूल है..
वाह, रानी साहिबा, इस मिसरे पर इतनी खूबसूरत ग़ज़ल.....
तारीख में मिलेंगे न उनके निशान तक....
जिनको न साथ वक्त के चलना कबूल है..
ये शेर तो हासिल ग़ज़ल है आपका.
मुबारक हो..
शोहरत की दौड़ में ये जहां है, हुआ करे
"रानी" सुकूं है दिल को, तो सब कुछ फ़िज़ूल है
वाह...बिल्कुल सोलह आने सच्ची बात, बहुत शुभकामनाएं.
रामराम.
Bahut badiya likha hai.
Bas thoda "Nukta" lagane ka dhyan rakhiye.
सुन्दर और सकारात्मक -शुक्रिया !
मेरे पास शब्द नहीं हैं!!!!
tareef ke liye didi ji
मौसम के साथ चलिये कि लड़ना फ़िज़ूल है
तब्दीलियां तो वक़्त का पहला उसूल है..
इंसां नहीं कोई भी मुकम्मल जहान में
लेकिन नज़र में और की खामी है भूल है
सुंदर और सच्ची ग़ज़ल
bahut acha...tabdiliya to waqt ka pahla usool hai...
bahut acha...tabdiliya to waqt ka pahla usool hai...
मौसम के साथ चलिये कि लड़ना फ़िज़ूल है
तब्दीलियां तो वक़्त का पहला उसूल है..
-बहुत गज़ब की पंक्तियाँ...बहुत बढ़िया.
वी कैन चेंज का नारा देकर ही ओबामा अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए...
सच बदलाव का दूसरा नाम ही जीवन है...
जय हिंद...
ap achcha likhtin hain......even i write,prars.blogspot.com
ap achcha likhtin hain......even i write,prars.blogspot.com
बहुत ही सुन्दर रचना प्रस्तुत की है आपने तो!
भारतीय नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ!
अच्छी दिशा दिखाती हुई रचना
सुमन ‘मीत’
इस सचाई को उजागर किया बहुत खूब जी
कश्ती का नाखुदा भी हुआ कितना बदगुमान
खुद को खुदा समझता है ये कैसी भूल है
बहुत खूब रानी जी ये सुकूँ यूँ ही बना रहे ......!!
वाह .. क्या बात है !!
अद्भत।
तारीख में मिलेंगे न उनके निशान तक....
जिनको न साथ वक्त के चलना कबूल है
waah kya baat hai
bahut hi shaandaar lagi ye rachna .
बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति ,
इन्सान नहीं है कोई मुकम्मल जहाँ में
शोहरत की दौड़ में ये जहां है, हुआ करे
"रानी" सुकूं है दिल को, तो सब कुछ फ़िज़ूल है
bahut sach kaha.....
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